भोपाल (ईन्यूज़ एमपी ) मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ इन दिनों कांग्रेस के संकटमोचक बने हुए हैं। केंद्रीय संगठन में बिना जिम्मेदारी लिए राष्ट्रीय स्तर पर वे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह बात उन्होंने खुद ही स्वीकारी। भोपाल में गुरुवार को मीडिया के साथ बातचीत में नाथ ने कहा - झारखंड में सरकार पर संकट हो या फिर कर्नाटक में पार्टी पर, सबको सुलझाऊंगा पर मध्यप्रदेश नहीं छोडूंगा। पद रहे या न रहे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं अपना काम कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा। कृषि कानूनों से सिर्फ व्यापारियों को फायदा होगा। कमल नाथ ने कहा कि मेरी मैडम (सोनिया गांधी) से नियमित बात होती है, वे जहां जो निर्देश दे रही हैं, मैं उसे भी निभा रहा हूं। नाथ ने कहा, झारखंड के 11 विधायकों को तोड़ा जा रहा था। इनमें से चार एक होटल थे। मैंने हेमंत सोरेन से बात की, मामला सुलझ गया। सरकार गिरने से बच गई। इसी तरह कर्नाटक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच चल रहे मतभेद सुलझााने के लिए दो-तीन दिन में बेंगलुरु भी जाऊंगा। पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि महासचिव तो कई साल पहले था। मैंने अपनी बात शीर्ष नेतृत्व के सामने रख दी है। जहां तक बात मध्य प्रदेश छोड़ने की है तो यह स्पष्ट है कि मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि मैंने विधायकों से कहा है कि वे अपने क्षेत्र में सक्रिय हो जाएं। आज-कल की पीढ़ी आपको-हमको पढ़ाने वाली है। वो सब जानती है। प्रदेश की मौजूदा स्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि हमने सरकार में व्यवस्था परिवर्तन पर जोर दिया था। जो काम कलेक्टर के स्तर पर हो जाना चाहिए, उसके लिए कोई मंत्रालय नहीं आए। ऐसे कलेक्टर जहां सीमांकन का काम नहीं हो रहा, उसे हटा देना चाहिए, ये तो उनकी ड्यूटी