दिल्ली(ईन्यूज एमपी)- राजधानी समेत प्रदेश के किसी भी जिले में हुए सड़क हादसे में दो या इससे अधिक मौत हुईं तो अब संबंधित कलेक्टर-एसपी को भी मौके पर जाकर क्रैश इन्वेस्टिगेशन करना होगा। यूं तो मोटर व्हीकल एक्ट के तहत धारा 135 में ये प्रावधान पहले से है। बढ़ते सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों को कम करने के लिए इस धारा का उल्लेख करते हुए अब ये निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने भी मप्र शासन को दिए हैं। इसके तहत मौके पर पहुंचकर कलेक्टर-एसपी या उनकी टीम को ये देखना होगा कि हादसा सड़क निर्माण की कमी के कारण तो नहीं हुआ। ऐसे हर हादसे की रिपोर्ट पीटीआरआई को भेजनी होगी। तीन दिन पहले एनएच-30 स्थित बहोरीबंद मोड़ (जबलपुर) में ट्रक-बोलेरो की भिड़त में 4 युवकों की जान चली गई थी। पीटीआरआई ने इसकी क्रैश इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट तलब की है। पांच बिंदुओं पर करना होगा इन्वेस्टिगेशन -सड़क हादसे के कारण का अध्ययन और विश्लेषण? -हाइवे पर यात्रियों की सुख-सुविधा के लिए बाथरूम, रेस्टरूम और ट्रॉमा सेंटर था या नहीं? -हाइवे पर यातायात चौकियां हैं या नहीं? - हाइवे पर ट्रक पार्क करने की सुविधा है या नहीं? -हादसा उक्त सड़क के निर्माण की किसी खामी के कारण तो नहीं हुआ? पांच साल तक नहीं किया पालन सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसों में कमी लाने और उनमें होने वाली मौतों को 50%तक कम करने के निर्देश वर्ष 2015 में सभी राज्यों को दिए हैं। तभी से मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 135 का उल्लेख करते हुए हादसों का क्रैश इन्वेस्टिगेशन कराने का निर्देश भी दिया जा रहा है। इसका पालन न होते देख सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। इसका पालन करते हुए पीटीआरआई ने एक पत्र गृह विभाग को भेजा है। विधि एवं विधायी विभाग से चर्चा के बाद गजट नोटिफिकेशन भी करवाया जाएगा। धारा 135 के तीन बिंदु मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 135 में सड़क हादसों के मामलों में विवेचना करने और मार्गस्थ सुख-सुविधाओं के लिए स्कीम बनाने का प्रावधान है। उक्त स्कीम को राज्य विधान मंडल के सामने भी प्रस्तुत करना होगा। लापरवाही तो केस दर्ज होगा इन्वेस्टिगेशन के दौरान सड़क निर्माण एजेंसी या अन्य किसी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी की लापरवाही की भी विवेचना की जाएगी। लापरवाही साबित हुई तो संबंधित अफसर के खिलाफ कार्रवाई होगी।