भोपाल(ईन्यूज एमपी)-मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस के चुनाव का कार्यक्रम जारी हो गया है। नामांकन दाखिल करने की तारीख 24 व 25 नवंबर तय की गई है। जबकि 26 नवंबर को आवेदनों की स्कूटनी तथा आपत्ति और 28 नंवबर को चुनाव चिंन्ह आवंटित किए जाएंगे। मतदान और मतगणना की तारीख बाद में घोषित होगी। इसी साल मार्च में यह प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन विवादों में घिरने के कारण चुनाव नहीं हो पाए थे। ऐसा पहली बार हुआ था कि जब किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ने वाले को इंटरव्यू देना अनिवार्य किया गया था। हालांकि चुनाव प्रक्रिया रोके जाने की वजह कोरोना संक्रमण फैलना बताया गया था। मध्य प्रदेश में युवक कांग्रेस के चुनाव सात साल बाद हो रहे हैं। अगस्त 2013 में कुणाल चौधरी निर्वाचित हुए थे। इसके बाद लगातार उनका कार्यकाल बढ़ता जा रहा है। अब आगर से विधायक एवं एनएसयूआई के अध्यक्ष विपिन वानखेड़े, पूर्व मंत्री लाखन सिंह के भतीजे संजय यादव तथा एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने दावेदारी की है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के समर्थक नितिन भोज भी अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। वानखेड़े दौड़ में आगे विधायक विपिन वानखेड़े युवा कांग्रेस अध्यक्ष बनने की दौड़ में सबसे आगे दिखाई दे रहे हें। उन्होंने एनएसयूआई के सदस्यों को युवा कांग्रेस की सदस्यता दिलवा दी है, जिससे उनके समर्थकों की संख्या अन्य दावेदारों के मुकाबले ज्यादा नजर आ रही है। न्यूनतम वोट पाने वालों को बनाया जाएगा सचिव प्रदेश कार्यकारिणी के लिए चार उपाध्यक्ष चुने जाएंगे। जिनमें से एक महिला व एक अनुसूचित जाति-जनजाति का होगा। महामंत्री में एक-एक अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, महिला व अनुसूचित जाति-जनजाति और विकलांग के लिए रिजर्व किया गया है। पांच महामंत्री पद सामान्य होंगे। इनके अलावा सचिव पद पर उन नेताओं की नियुक्ति की जाएगी, जो निर्धारित न्यूनतम मत हासिल करेंगे। 2011 से हुई थी चुनाव के जरिए पदाधिकारियों के चयन शुरुआत कांग्रेस की इकाई युवा कांग्रेस में वर्ष 2011 में चुनाव की शुरुआत हुई थी। मप्र युवा कांग्रेस में पहले निर्वाचित अध्यक्ष प्रियव्रत सिंह थे, जो बाद में कमलनाथ सरकार में ऊर्जा मंत्री भी बने। उस समय दो साल का कार्यकाल था और अगस्त 2013 में दूसरे प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी बने। कुणाल चौधरी अभी विधायक हैं। उनका कार्यकाल 2015 में समाप्त हो रहा था, लेकिन तब कांग्रेस ने अध्यक्ष का कार्यकाल दो साल के बजाय तीन साल कर दिया था। हालांकि 2016 में भी युवा कांग्रेस के चुनाव नहीं हुए और कुणाल अब तक अध्यक्ष हैं।