भोपाल(ईन्यूज एमपी)- शासकीय सेवक की नौकरी के दौरान मृत्यु होने पर परिजनों की अनुकंपा नियुक्ति में आड़े आने वाले नियमों में कमलनाथ सरकार बदलाव करेगी। इसके लिए 2014 के नियमों को सरल बनाया जाएगा। इसमें आवेदन करने के सात साल बाद भी अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता रखी जाएगी। अभी सात साल के भीतर यदि नियुक्ति नहीं मिलती है तो आवेदन स्वत: अमान्य हो जाता है। दरअसल, जिलों में पद न होने की सूरत में आवेदन एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय घूमता रहता है और जब सात साल बीत जाते हैं तो फिर अधिकारी नियमों का हवाला देकर हाथ खड़े कर देते हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने नियमों में बदलाव के लिए प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे निर्णय के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। प्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति के 29 सितंबर 2014 के नियमों को सरल करने का मामला काफी समय से चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग को निर्देश दिए थे, लेकिन फाइल आगे ही नहीं बढ़ पाई। कांग्रेस ने वचन पत्र में नियमों के सरलीकरण का वादा किया था। इसके मद्देनजर विभाग ने खाका तैयार किया। विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि विभागीय मंत्री डॉ. गोविंद सिंह की पहल पर नियम को व्यावहारिक बनाने की कार्रवाई की जा रही है। अभी शासकीय सेवक की मृत्य होने पर आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के लिए जो आवेदन करते हैं वो सात साल तक मान्य रहता है। इस अवधि में जिला प्रशासन को रिक्त पद पर अनुकंपा नियुक्ति देने की कार्रवाई करना होती है। कई बार संबंधित विभाग में पद न होने पर विभागाध्यक्ष कार्यालय को आवेदन भेजा जाता है और दूसरे जिले में पद की तलाश होती है। वहां भी पद न होने पर जिला प्रशासन को दूसरे विभागों में उपलब्ध पदों पर नियुक्ति के लिए कहा जाता है। वहां भी पद उपलब्ध न होने पर आवेदन लंबित रहता है और यदि सात साल पूरे हो गए तो आवेदक को सूचना देकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। उधर, मृतक शासकीय सेवक के परिजन कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं। ऐसे मामलों से निपटने के लिए सरकार अब आवेदन के निपटारे की समयसीमा के बंधन को हटाने जा रही है। प्रस्ताव को विभागीय मंत्री की अनुमति मिलने के बाद कैबिनेट में नीतिगत निर्णय के लिए रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि इस तरह के प्रदेश में सात-आठ हजार मामले हैं। नियमों के बंधन से मुक्त हो अनुकंपा के मामले मंत्रालयीन अधिकारी-कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है कि हम अनुकंपा नियुक्ति के नियमों को सरल करने का मुद्दा सालों से उठाते आ रहे हैं। सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। अनुकंपा नियुक्ति के मामलों को नियमों के बंधन से मुक्त रखना चाहिए। इससे नियुक्ति प्रक्रिया में जो अनावश्यक समय लगता है वो नहीं लगेगा। सिर्फ शैक्षणिक योग्यता और आयु को देखा जाना चाहिए।