भोपाल(ईन्यूज एमपी)-मध्यप्रदेश के 14 जिलों की आंगनवाड़ियों के लिए सरकार अब ठेकेदारों से पोषण आहार नहीं खरीद सकेगी। जबलपुर हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने के बाद सरकार को इन जिलों के लिए सरकारी प्लांट से ही पोषण आहार खरीदना पड़ेगा। अभी तक इन जिलों के लिए शॉर्ट टर्म टेंडर के माध्यम से सरकार पोषण आहार खरीद रही थी। इन टेंडरों की अवधि दिसंबर में समाप्त हो रही है। उधर, मप्र राज्य आजीविका मिशन ने सागर और मंडला प्लांट दो दिन पहले शुरू कर दिए हैं। जबकि शिवपुरी और रीवा प्लांट दिसंबर अंत तक शुरू करने का लक्ष्य है। ऐसी स्थिति रही, तो जनवरी 2020 से प्रदेश की सभी आंगनवाड़ियों में सरकारी प्लांट से ही आहार सप्लाई हो सकेगा। प्रदेश में 97 हजार 135 आंगनवाड़ी हैं। इनके लिए सरकार हर माह 12 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार खरीदती है। वर्तमान में 38 जिलों में सरकारी प्लांट और एमपी एग्रो से करीब आठ हजार मीट्रिक टन पोषण आहार की सप्लाई की जा रही है। जबकि ग्वालियर, चंबल एवं रीवा संभाग सहित शहडोल जिले के लिए ठेकेदारों से करीब तीन हजार मीट्रिक टन आहार खरीदा जा रहा है। इन जिलों में पोषण आहार की पूर्ति शिवपुरी और रीवा प्लांट से की जाना है, जो अभी तैयार नहीं है। यही कारण है कि सरकार ने इन जिलों के लिए सितंबर में शॉर्ट टर्म टेंडर की अवधि तीन माह बढ़ाई है। यह अवधि दिसंबर में खत्म हो रही है। अब शिवपुरी व रीवा प्लांट से उत्पादन शुरू न होने की स्थिति बनती है, तो सरकार को जनवरी 2020 में नए विकल्प तलाश करने पड़ेंगे। वैसे आजीविका मिशन भरोसा दिला रहा है कि वह दिसंबर अंत तक दोनों प्लांट तैयार कर उत्पादन शुरू कर देगा। ज्ञात हो कि तीन दिन पहले तक सात में से तीन प्लांट ही आहार सप्लाई कर रहे थे। दो दिन पहले आजीविका मिशन ने सागर व मंडला प्लांट शुरू किए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग ने दोनों प्लांट को आहार सप्लाई का पूरा आर्डर दे दिया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर बताते हैं कि हाईकोर्ट के आदेश को देखकर ही कुछ बता पाएंगे। दरअसल, ये मामला हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के 2017 के आदेश से जुड़ा है। तब कोर्ट ने 30 दिन में नए टेंडर जारी करने के आदेश दिए थे। उस समय सरकार ने मामला कैबिनेट में जाने और इसकी तैयारी करने में समय लगने के तर्कों के साथ 30 दिन का अतिरिक्त समय मांगा था। बाद में यह मामला जबलपुर हाईकोर्ट में शिफ्ट हो गया। यह याचिका तो खारिज होना थी। वापस लेने की बात समझ नहीं आ रही है। प्लांट एमपी एग्रो को सौंपने की तैयारी जहां राज्य सरकार ने टेंडर जारी करने की सीमा बढ़ाने की याचिका वापस ले ली है, वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सरकारी पोषण आहार प्लांट एमपी एग्रो को सौंपने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक अगले माह कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। विभाग का तर्क है कि उनके पास पोषण आहार तैयार करने का तकनीकी ज्ञान नहीं है इसलिए प्लांट एमपी एग्रो को दे दें, क्योंकि संस्था लंबे अरसे से यह काम कर रही है। वहीं महिला स्व-सहायता समूहों से यह काम करना संभव नहीं है। वर्तमान में सात में से पांच प्लांटों में पोषण आहार तैयार किया जा रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि प्लांटों में रखा गया तकनीकी स्टाफ ठेकेदारों का नजदीकी है, जो सालों से प्रदेश में पोषण आहार सप्लाई कर रहे हैं।