भोपाल(ईन्यूज एमपी)- उच्च शिक्षा विभाग के प्रदेशभर के सरकारी कॉलेजों में पदस्थ 80 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नौकरी पर संकट आ गया है। इसकी वजह है, इन्होंने नौकरी लगने के करीब 15 साल बाद भी नेट, स्लेट या पीएचडी की डिग्री हासिल नहीं की है। जबकि विभाग इनको दो बार मौके दे चुका है। उच्च शिक्षा विभाग ने ऐसे सभी असिस्टेंट प्रोफेसरों के बारे में जानकारी मांगी है। इसके साथ ही विभाग कुछ असिस्टेंट प्रोफेसरों की परवीक्षा की समयावधि में भी बदलाव करने की तैयारी कर रहा है। इसे लेकर प्रदेश प्राध्यापक संघ ने आपत्ति भी दर्ज कराई है। दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग के सरकारी कॉलेजों के लिए साल 2004 से 2006 के बीच एसटी और एससी के बैकलॉग के खाली पदों पर भर्ती की गई थी। इस दौरान करीब एक हजार असिस्टेंट प्रोफेसरों पदों की भर्ती की गई थी। उस दौरान विभाग ने शर्त रखी थी कि इन्हें नियुक्ति के दो साल के अंदर नेट, स्लेट या पीएचडी की डिग्री हासिल करनी होगी। इसके बाद विभाग ने साल 2009 और 2017 में फिर से इनके लिए आदेश जारी किए थे। इनसे कहा गया था कि जिन्होंने अब तक नेट, स्लेट या पीएचडी की डिग्री हासिल नहीं की है वे डिग्री हासिल कर लें। लेकिन इसके बाद भी जब कई असिस्टेंट प्रोफेसरों ने आदेश का पालन नहीं किया तो सभी सरकारी कॉलेजों को पत्र लिखकर इनके बारे में जानकारी मंगाई गई थी। विभाग ने कॉलेजों के प्रिंसिपलों से पूछा था कि 2004 से 2006 के बीच भर्ती असिस्टेंट प्रोफेसरों ने नेट, स्लेट या पीएचडी की डिग्री कब हासिल की है। यदि हासिल नहीं की है तो उसकी भी जानकारी भेजें। इस जानकारी के आधार पर विभाग ऐसे असिस्टेंट प्रोफेसरों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही विभाग इनकी परवीक्षा समयावधि में भी बदलाव करने की तैयारी कर रहा है। इनकी भर्ती के दो साल बाद विभाग ने इनकी परवीक्षा अवधि समाप्त कर दी थी। साथ ही नियमानुसार पे-बैंड, इन्क्रीमेंट का लाभ देना शुरू कर दिया था। लेकिन अब इनकी परवीक्षा अवधी तब समाप्त मानी जाएगी जिस तारीख को इन्होंने नेट, स्लेट या पीएचडी की डिग्री हासिल की है। ऐसे में इन्क्रीमेंट समेत अन्य लाभ की तारीख भी बदल जाएगी। विभाग इनसे रिकवरी भी कर सकता है।