ग्वालियर(ईन्यूज एमपी)- अपर सत्र न्यायाधीश डॉ. कुलदीप जैन ने व्यापमं की जेल प्रहरी परीक्षा फर्जीवाड़े के दो आरोपियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी जगह सॉल्वर भेजने के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं। इससे योग्य उम्मीदवारों का मोह भंग हो रहा है। आरोपियों को जेल भेज दिया है। अपर लोक अभियोजक वरुणदेव शर्मा ने बताया कि व्यापमं ने वर्ष 2012 में जेल प्रहरी परीक्षा आयोजित की थी। 3 जून 2012 को शासकीय जीवाजी हायर सकेंडरी स्कूल में सेंटर पड़ा था। रूम नंबर 11 में मातादीन नाम के युवक की जगह सॉल्वर बैठा था। वीक्षक ने जब उसके फॉर्म व दस्तावेज चेक किए तो उस पर शक हुआ। इस बात की सूचना उन्होंने केंद्राध्यक्ष को दी। जब उससे परीक्षा से अलग हटाकर कड़ाई से पूछताछ की तो उसने अपना नाम राहुल उर्फ भगवती शर्मा निवासी विकास नगर भिंड, बताया। इस खुलासे के बाद केंद्राध्यक्ष चौक गए थे। राहुल ने बताया कि वह मातादीन गुर्जर निवासी जौरा मुरैना की जगह पेपर देने आया था। इसके बाद केंद्राध्याक्ष ने उसे इंदरगंज थाना पुलिस के हवाले कर दिया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ जांच कर कोर्ट में चालान पेश किया। यह केस सीसीबीआई ने हेंडओवर नहीं किया। इस कारण इंदरगंज पुलिस ने केस की ट्रायल पूरी कराई। इस मामले में कोर्ट ने दोनों को दोषी माना है। उन्होंने बचाव में तर्क दिया कि उन्हें झूठा फंसाया गया है, उनके खिलाफ पुलिस के पास साक्ष्य नहीं है।