रतलाम(ईन्यूज एमपी)- पुलिस ने ऑपरेशन शिकंजा के कार्रवाई करते हुए नागालैंड से ऑल इंडिया के फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने का पर्दाफाश किया है। मामले में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष आरोपित जीवनसिंह शेरपुर सहित पांच आरोपितों के खिलाफ अलग-अलग थानों पर प्रकरण दर्ज किए हैं। आरोपितों में दो भाजपा कार्यकर्ता, एक शराब ठेकेदार व एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर शामिल हैं। जीवनसिंह को छोड़ककर शेष चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है। एसपी गौरव तिवारी ने सोमवार को पत्रकारवार्ता में बताया कि कई आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के नाम शस्त्र लाइसेंस होने की सूचना मिल रही थी। कलेक्टर कार्यालय से भी नागालैंड के शस्त्र लाइसेंसों की जांच के संबंध में पत्र मिला। जांच के लिए एएसपी (शहर) डॉ. इंद्रजीत बाकरवाल व एएसपी (ग्रामीण) सुनील पाटीदार, जावरा सीएसपी अगम जैन के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी ने पांच माह तक जिले में स्थित करीब 3600 शस्त्र लाइसेंस की पड़ताल की। इसमें जीवनसिंह पिता शेरसिंह राठौर (28) निवासी ग्राम शेरपुर थाना पिपलौदा, राजेंद्र पिता रामचंद्र टांक (50) निवासी दीनदयालनगर थाना दीनदयालनगर, कमरुद्दीन पिता बरकत अली (47) निवासी डाट की पुल थाना स्टेशन रोड, मुकेश पिता शंकरलाल प्रजापत (38) निवासी विद्युत कॉलोनी जावरा थाना औद्योगिक क्षेत्र जावरा और अविनेंद्रसिंह पिता रघुनाथसिंह भाटी (42) निवासी ग्राम बेरछा थाना बिलपांक के शस्त्र लाइसेंस संदेहास्पद होकर नागालैंड राज्य से प्राप्त करने की बात सामने आई। तीन के दस्तावेज नहीं, दो अन्य नाम से एसपी तिवारी ने बताया कि पांचों आरोपितों के लाइसेंस नागालैंड के जुन्हेबोटो जिला से बने हैं। आरोपित जीवनसिंह, राजेंद्र टांक व अविनेंद्रसिंह के खिलाफ पहले से आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद शस्त्र लाइसेंस जारी होने पर पुलिस का एक दल जुन्हेबोटो नागालैंड भेजा गया। जावरा सीसएपी जैन लगातार जुन्हेबोटो के डिप्टी कमिश्नर व एसपी से संपर्क में रहे। वहां से जानकारी मिली कि जीवनसिंह व अविनेंद्रसिंह द्वारा प्रस्तुत शस्त्र लाइसेंस किसी अन्य लोगों के नाम से जुन्हेबोटो में दर्ज है। राजेंद्र, कमरूद्दीन व मुकेश के लाइसेंस का रिकॉर्ड वहां के शस्त्र लाइसेंस कार्यालय में दर्ज ही नहीं है। फर्जी दस्तावेज बनाकर पेश किए जांच के दौरान यह बात सामने आई कि राजेंद्र, कमरुद्दीन, मुकेश व अविनेंद्रसिंह ने नागालैंड जाकर लाइसेंस बनवाए, जबकि जीवनसिंह वहां गया ही नहीं। उसने अवनेंद्रसिंह को रुपए देकर काम करवाया। इसके आधार पर अलग-अलग स्थानों की दुकानों से शस्त्र भी ले लिए गए। शस्त्रों को वैध बताने के लिए समय-समय पर कूटरचित शस्त्र लाइसेंस लोक सेवक के सामने पेश किए गए। इसके बाद आरोपितों के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 467, 468, 471 व आर्म्स एक्ट की धारा 25, 27 के तहत प्रकरण दर्ज किए गए।