मैहर(ईन्यूज एमपी)-जैसा कि सभी को पता है कि स्कूल के माध्यम से बच्चों का भविष्य तय होता है और हर बच्चे के माता पिता अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाने में कोई कसर नही छोड़ते ओर यह आशा करते है कि जिस स्कूल में हमारा बच्चा पढ़ने जा रहा है उसे वहां पर अच्छी शिक्षा दी जा रही है पर आज के समय पर स्कूल एक व्यापार सा होता समझ मे आ रहा है और बच्चों की शिक्षा के नाम पर प्रायवेट स्कूल संचालको के द्वारा अच्छी खासी रकम कमाई जा रही है ऐसा ही एक स्कूल का मामला सामने आया है इस सम्बंध में बताया जा रहा है कि मैहर की मानी जानी स्कूल गुरुनानक हायर सेकंडरी मिशन स्कूल जो कि हमेशा ही चर्चाओं पर बनी रही है चाहे वजह कोई भी हो विगत दिन एक अभिभावक के द्वारा अपने बच्चों की खरीदी गई किताब को लेकर स्कूल पहुचे ओर बातचीत की गई जिसका पूरा वीडियो मौजूद है गुरुनानक स्कूल का एक बच्चा जो कि इस वर्ष सातवी पास कर आठवी गया और आठवी जाते ही बच्चे से पहले अप्रैल के महीने में ही लगभग दो हजार रुपये की किताबें ख़रीदवाई गई और अब जुलाई में फिर कुछ दूसरी किताब मंगवाई जा रही है अभिभावक का कहना है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि एक ही क्लास की दोबार कैसे किताबे खरीदी जा सकती है इन तामाम बिंदुओं को लेकर अभिभावक पहुचे गुरुनानक स्कूल पर तो स्कूल के जिम्मेवार तन्त्रो के द्वारा यह कहा गया कि ज्यादा दारिल करना है तो हम वकील खड़ा करे जो कुछ भी हो रहा है वह सरकार के आदेश से हो रहा है इसमें हम कुछ नही कर सकते साथ ही स्कूल के जिम्मेवार तन्त्र का यह भी कहना रहा कि हमारे स्कूल में लगभग चालीस से भी ज्यादा लोग है उन सभी का भी खर्च है स्कूल के जिम्मेवारो के शब्दों से यह साफ स्पष्ट होता प्रतीत हुआ कि वह केवल सरकार का हवाला देकर केवल मोटी रकम कमाना चाहते है साथ ही बातों बातों में स्कूल के जिम्मेवार यह भी कह बैठे की जो बच्चे कोटा में लाखों रुपये खर्च कर पढ़ाई कर सकते है वो इधर क्यो नही खर्च कर सकते मतलब कोटा की पढ़ाई के तर्ज पर पैसा कमाना चाहते है वही दूसरी यह भी सूत्रों का दावा है कि स्कूलों में यह होता है कि अगर सगे तीन भाई पढ़ते है तो एक कि फीस माफ की जाती है पर गुरुनानक स्कूल पर ऐसा कुछ भी नही मात्र तीस रुपये महीने की राहत दी जाती है जब इस सम्बंध में भी अभिभावक चर्चा की तो स्कूल के लोगो का कहना था कि गुरुनानक स्कूल गुरुद्वारे की है इसका मतलब जो मन चाहे वो करना है और जब कोई बात आती है तो कह देते है कि सरकार का आदेश है प्रश्न यह भी उठता है कि सरकार का आदेश एक स्कूल के लिए हुआ है कि अपितु पूरे प्रदेश की स्कूलों के लिए हुआ है यह बात समझ से परे है हालांकि कुछ प्रायवेट स्कूलों की मनमानी से हमेशा अभिभावक परेशान होते है पर करे भी क्या आखिरकार पढ़ाई तो करवानी पड़ती है यही कारण है कि स्कूल संचालक अपनी मनमानी करते है