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बोरवेल समस्या या सौगात.....

बैतूल (अरुण सूर्यवंशी)- बैतूल के दादूढाना गांव में एक साल अधूरा पड़ा 600 फ़ीट गहरा बोरवेल ग्रामीणों के लिए जीवनरेखा भी बना हुआ है और दूसरी तरफ गाँव के मासूम बच्चों के लिए खतरा । इस खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने का डर है लेकिन ग्रामीणों के लिए पानी का यही एक जरिया है। गांव के लोग जुगाड़ के सहारे इससे पानी निकाल लेते हैं । दरअसल पीएचई विभाग और जनपद पंचायत की लापरवाही के चलते एक साल से इस बोरवेल में मोटर पंप नहीं लग पाया और ना ही इसे सुरक्षित तरीके से कवर किया गया है । 

बैतूल में ताप्ती नदी के किनारे बसा भैंसदेही ब्लॉक ये गांव है दादूढाना । ग्रामीणों का कहना है कि एक साल पहले गांव में 600 फ़ीट गहरा एक बोरवेल खुदा । लेकिन इस बोरवेल से किस तरह पानी निकाला जाता है ये आप खुद देखिए । पहले एक छोटी से बाल्टी बोरवेल में डाली जाती है फिर बांस के सहारे उसमे पानी भरकर बाहर निकाला जाता है । गांव में इसके अलावा निस्तार के लिए कहीं पानी उपलब्ध नहीं है इसलिये रोज़ाना इतनी मशक्कत करना मजबूरी है। में जुगाड़ तकनीक से पानी तो मिल रहा है लेकिन ये गांव के छोटे बच्चों के लिए खतरनाक है । बोरवेल का मुहाना खुला हुआ है जिससे गांव के बच्चे इस 600 फ़ीट गहरे बोरवेल में  गिर सकते हैं ।

ग्रामीण कई बार इस बोरवेल में मोटर लगाने या इसे सुरक्षित करने की गुहार लगा चुके हैं लेकिन बोरवेल से पानी निकलते की बात जैसे ही मीडिया सामने लाई तो खिसियाए अधिकारी किसी विकल्प की बजाय बोरवेल को ही बंद करने की बात कह रहे हैं

लेकिन एक साल से अधूरे पड़े इस बोरवेल की वजह से ग्रामीणों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है । सुस्त नौकरशाही और बेपरवाह सिस्टम की ये एक और बानगी है ।

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