भोपाल(ईन्यूज एमपी)-निर्वाचन आयोग की पहल पर शहर में मतदान बढ़ाने के लिए स्वीप की गतिविधियां संचालित की गई थीं। इन पर करीब 5.17 करोड़ रुपए खर्च भी किया गया। बावजूद इसके भोपाल में मतदान का प्रतिशत महज 1.91 फीसदी ही बढ़ा सका। 2013 में मतदान का प्रतिशत जहां 63.89 था, वो बढ़कर इस बार 65.80 प्रतिशत तक ही पहुंचा। जबकि मतदान प्रतिशत 70 फीसदी से ऊपर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। बता दें कि स्वीप अभियान के तहत मतदाता जागरूकता के मामले में निर्वाचन आयोग ने जिम्मेदार अधिकारियों को सम्मानित करने का दावा किया था। अभियान सफल बनाने के लिए पिछले 45 दिनों से अमला रात-दिन मेहनत कर रहा था। जिसमें 2 नवंबर को इंडियन ओशियन बैंड नई दिल्ली ने म्यूजिकल नाइट की प्रस्तुति भी दी थी। भोपाल में हुई थी 21 तरह की गतिविधियां स्वीप केलेंडर के अनुसार 23 अक्टूबर को समावेशी मतदान की अवधारणा पर संवाद एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया था। वहीं 26 अक्टूबर को लोकतंत्र के रंग- रंगमंच के संग (कबीर भजन, नु-ड़ नाटक, लोक नृत्य एवं भारत नाट्यम द्वारा मतदान का संदेश) मानव संग्रहालय में आयोजित किया गया था। इसमें उज्जौन का टिपनिया समूह, ए.डी.आर. संस्था तथा स्थानीय कलाकारों ने प्रस्तुति दी थी। मतदाता को जागरूक करने के लिए एक लाख रुपए की तो पतंग ही उड़ाई गई थी। चलाया गया था फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी 28 से 30 अक्टूबर तक तीन दिवसीय फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी के अंतर्गत साहसिक खेलों का आयोजन भी स्वीप गतिविधियों के तहत करवाया गया था। इसमें हॉट एयर बेलून, रेवेर्स बंजी, कमांडो ड्रिल, बुल राइड टेम्पोलिन, एटीवी बाइक, बंघी रन, तीरंदाजी, रायफल शूटिंग, वाल क्लाइबिंग, वाटर रोलर, पेरामोटर, पैरा सेलिंग आदि का आयोजन लाल परेड ग्राउंड तथा कलियासोत मैदान पर किया गया था। मतदान प्रतिशत कम रहने के यह भी रहे कारण - 173 ईवीएम व वीवीपेट मशीनों की गड़बड़ी से मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ सका। - सुबह पोलिंग बूथों पर मतदान करने पहुंचे मतदाता, मशीन गड़बड़ होने के बाद वापस लौट गए तो वह दोबारा मतदान करने नहीं गए। - ई-क्यूलेस व क्यूलेस बूथों पर उपलब्ध कराई गई सुविधाओं का लाभ मतदाताओं ने नहीं लिया। - वर्तमान युवा पीढ़ी लंबी कतारों में लगने से कतराती है। वह चाहती है कि मतदान की लाइन में लगे बिना ही मतदान करने का मौका मिल सके। इसलिए मतदान नहीं किया।