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नगर निगम के ट्रीटमेंट प्‍लांट में लीक हुई गैस, घरों से बाहर निकले लोग....

इंदौर(ईन्यूज एमपी)- कबीटखेड़ी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में मंगलवार शाम क्लोरिन गैस का रिसाव नोजल फटने से हुआ। सिलेंडर से गैस पानी को साफ करने में इस्तेमाल की जा रही थी। सूचना मिलने पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम रिसाव तो बंद नहीं कर पाई लेकिन तमाम मशक्कत के बाद रात करीब 9.30 बजे सिलेंडर को खुले क्षेत्र में रख दिया। इस काम में फायर कर्मियों की हालत खराब हो गई।

निगम अफसरों ने बताया कि यह सिलेंडर ट्रीटमेंट प्लांट के पास बने एक गोदाम में रखा था और 15 दिन से इससे क्लोरिन गैस ली जा रही थी। एक सिलेंडर करीब महीनेभर चलता है। प्लांट में दो-तीन सिलेंडर रहते हैं। लीकेज के बाद पहले तो काफी देर तक सिलेंडर को बुलडोजर से उठाने की कोशिशें की गईं लेकिन सिलेंडर नहीं उठा, बल्कि बुलडोजर हिलने लगा। इस बीच फायर ब्रिगेड के दो कर्मियों और एक बुलडोजर चालक को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, आंसू और घबराहट होने लगी और वे भागे-भागे बाहर आए। तत्काल उन्हें हॉस्पिटल भिजवाया गया।
तब तक निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी, रजनीश कसेरा, सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर हरभजन सिंह, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर संजीव श्रीवास्तव और एसके कुरील मौके पर पहुंच गए थे। फिर हाइड्रा बुलवाकर सिलेंडर को गोदाम से बाहर खुले क्षेत्र में रखवाया गया। इस दौरान प्लांट क्षेत्र में विपरीत दिशा में गैस फैलने लगी तो अफसर भी बाहर की तरफ भागे। रात सवा 10 बजे निगमायुक्त आशीष सिंह और अपर आयुक्त रोहन सक्सेना भी घटनास्थल पर पहुंच गए।

तेज रिसाव से उठ नहीं रहा था सिलेंडर
फायर कर्मियों ने बताया कि गैस के तेज रिसाव के कारण सिलेंडर बुलडोजर से नहीं उठ रहा था। हाइड्रा से बाहर रखवाने के बाद गैस रिसाव की तीव्रता कम हुई। अपर आयुक्त सोनी ने बताया कि सिलेंडर 900 किलो क्षमता का है। प्लांट का मेंटेनेंस और ऑपरेशन सूरत की ईकोकेम सेल्स एंड सर्विसेस लि. के जिम्मे है।

एक फायरकर्मी को लगाई फटकार
घटना के दौरान एक फायरकर्मी और निगम कर्मियों की बहस हो गई। दरअसल, निगम अफसरों ने एक कर्मचारी को सिलेंडर बाहर करने का काम जल्द करने को कहा था तो वह हरभजन सिंह से बदतमीजी से बात करने लगा। उसका कहना था जान गंवाकर तो काम नहीं कर सकते। सिलेंडर संभल नहीं रहा है। सिंह ने उसे फटकारा और बदतमीजी न करने की हिदायत दी।

टीम जांचेगी लीकेज कैसे हुआ
अफसरों ने बताया कि निगम को क्लोरिन सप्लाई नागदा की ग्रेसिम इंडस्ट्रीज करती है और घटनास्थल की स्थिति देखने के बाद वहां की टीम को बुलाया गया है। खबर लिखे जाने तक टीम मौके पर नहीं पहुंची थी। टीम आकर सिलेंडर का लीकेज बंद करेगी और यह जांच करेगी कि उसमें से लीकेज कैसे हुआ? निगमायुक्त ने बताया कि ग्रेसिम की टीम जो जानकारी देगी, उस आधार पर तय किया जाएगा कि घटना की जांच कराई जाए या नहीं।

निगम और फायर ब्रिगेड की पोल खुली
- घटना ने निगम के साथ फायर ब्रिगेड की पोल भी खोल दी है। दोनों ही विभागों के पास इस तरह की घटना से निपटने के लिए ठोस इंतजाम नहीं हैं।

- फायर ब्रिगेड के कर्मियों ने जो हो सकता था, वह किया लेकिन उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे। एसआई संतोषकुमार दुबे के नेतृत्व में आठ कर्मी मौके पर पहुंचे। ऐसा लगा कि विभाग के पास ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए दक्ष टीम नहीं है।

- निगम को फायर ब्रिगेड के साथ प्लांट का ऑपरेशन और मेंटेनेंस करने वाली टीम की तकनीकी टीम को भी तैनात करना चाहिए जो सिलेंडर से रिसाव होने जैसी स्थिति से निपट सके।

- जलूद में भी क्लोरिन के ऐसे सिलेंडर रहते हैं और वहां भी लीकेज रोकने संबंधी संसाधान और उपकरण नहीं हैं।

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