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विकास कार्यों के लिए पंचायतों एवं नगरीय निकायों को आय के स्त्रोत और कर वसूली बढ़ाने की सलाह


जबलपुर - राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी ने पंचायतों एवं नगरीय निकायों को वित्तीय रूप से आत्म-निर्भर बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि स्थानीय निकायों को बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए केन्द्र या राज्य सरकारों पर पूरी तरह निर्भर रहने की बजाय अपने खुद के आय के स्त्रोत तलाशने होंगे और कर वसूली को बढ़ाना होगा। श्री कोठारी आज यहां कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में जिले की त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की बैठकों को संबोधित कर रहे थे। बैठकों का आयोजन पंचायतों एवं नगरीय निकायों को बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए राज्य एवं केन्द्र शासन से मिलने वाले आवंटन के स्वरूप पर चर्चा करने एवं इस बारे में उनके सुझाव प्राप्त करने के लिए किया गया था।
बैठकों में राज्य वित्त आयोग के सदस्य एस.के. राय, सदस्य सचिव सुशील द्विवेदी, कलेक्टर शिवनारायण रूपला, विधायक अशोक रोहाणी, अपर कलेक्टर एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी धनराजू एस., जिले की सभी जनपद पंचायतों के अध्यक्ष, नगर पालिका एवं नगर पंचायतों के अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायतों के सरपंच, छावनी परिषद जबलपुर के सदस्य, नगर निगम आयुक्त वेदप्रकाश, छावनी परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आदि मौजूद थे।
वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री कोठारी ने बैठक में पंचायतों एवं नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों से कहा कि केन्द्र और राज्य शासन से मिलने वाली राशि का अधिकतम उपयोग उन लोगों के हित में सुनिश्चित करें जिन्होंने उन्हें चुना है। श्री कोठारी ने कहा कि नगरीय निकायों और पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपने अधिकारों और दायित्वों के प्रति ज्यादा सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नगरीय निकाय और पंचायतें यह भूल गई हंै कि वे भी केन्द्र और राज्य की तरह एक सरकार हैं और उन्हें भी लोक कल्याणकारी कार्यों के लिए करारोपण करने और कर की वसूली के अधिकार हैं। श्री कोठारी ने कहा कि स्थानीय निकाय अपने अधिकारों को भूलकर बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए केवल और केवल राज्य एवं केन्द्र सरकार पर निर्भर हो गई हैं। इन्हें यह समझना होगा कि केन्द्र और राज्य सरकार इन कार्यों के लिए एक सीमा तक ही आर्थिक मदद उपलब्ध करा सकती हैं।
श्री कोठारी ने कहा कि पंचायतों और स्थानीय निकायों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की एजेंसी की तरह काम करने की बजाय अब विकास के लिए धन जुटाने के अपने अधिकारों का इस्तेमाल करना होगा और स्वावलंबी बनना होगा। उन्होंने कहा कि यदि बेहतर सुविधायें उपलब्ध कराई जायें तो नागरिकों को भी टेक्स चुकाने में कोई एतराज नहीं होता यह बात आंध्रप्रदेश के उदाहरण से समझी जा सकती है, जहां पंचायतों का कर संग्रहण 525 करोड़ रूपये है जबकि हम उससे बड़ा राज्य होते हुए भी सिर्फ 26 करोड़ रूपये का कर संग्रहण ही कर पाते हैं।
राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष ने केन्द्र और राज्य शासन से पंचायतों एवं नगरीय निकायों को मिलने वाली राशि और खर्च का अनिवार्य रूप से आडिट कराने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि समय पर आडिट नहीं कराया गया तो स्थानीय निकायों सरकारों से आर्थिक सहायता मिलने में कठिनाई होगी। श्री कोठारी ने कहा कि पंचायतें एवं नगरीय निकाय अपनी आय के स्त्रोत और कर वसूली बढ़ाते हैं तो यह उनके लिए ज्यादा फायदें मंद होगा। उन्होंने बताया कि केन्द्र एवं राज्य सरकार अब पंचायतों एवं नगरीय निकायों को उनकी आय के अनुपात में ही विकास कार्यों के लिए अनुदान उपलब्ध करायेगी। इसका सीधा मतलब यह है कि जिन निकायों की आमदनी ज्यादा होगी उसे केन्द्र एवं राज्य के हिस्से की राशि उसी अनुपात में ज्यादा मिलेगी।
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने बैठक में कहा कि राज्य वित्त आयोग निर्वाचित प्रतिनिधियों से चर्चा और उनसे मिले सुझावों के आधार पर स्थानीय निकायों को आवंटन उपलब्ध कराने तथा इस दिशा में उनकी कठिनाइयों को दूर करने के लिए अपनी अनुशंसा राज्य सरकार को सौंपेगा। उन्होंने बताया कि राज्य शासन द्वारा राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर पंचायतों एवं नगरीय निकायों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के फार्मूला बदल दिया गया है। पहले आबादी और क्षेत्रफल के अनुपात में राशि आवंटित की जाती थी अब पंचायतों और नगरीय निकायों को आबादी, क्षेत्रफल और कुल आबादी में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की संख्या के अनुपात के आधार पर राशि आवंटित की जा रही है। इससे उन पंचायतों और नगरीय निकायों को विकास कार्यों के लिए ज्यादा आवंटन मिल रहा है जहां अनुसूचित जाति, जनजाति के परिवारों की संख्या अधिक है। श्री कोठारी ने कहा कि सरकार ने कर वसूली बढ़ाने के लिए उन ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों को जल आपूर्ति में लगने वाले बिजली बिल की पूरी राशि की प्रतिपूर्ति करने का निर्णय लिया है जहां जलकर की वसूली 80 फीसदी से अधिक होगी।
बैठक में नगरीय निकायों एवं पंचायतों के अधिकारियों से भी बुनियादी सुविधाओं के विकास में आ रही कठिनाइयों तथा इन निकायों की आय बढ़ाने के सुझाव प्राप्त किये गये।

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