सागर(ईन्यूज़ एमपी)- हॉर्निया का ऑपरेशन करने के एवज में पांच हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोपी डॉक्टर और वर्तमान में जिला अस्पताल के प्रभारी सिविल सर्जन को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम रामबिलास गुप्ता ने 4 साल के सश्रम कारावास तथा 30 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। फैसला सुनाने के बाद कोर्ट ने आरोपी को जेल भेज दिया। कोर्ट सूत्रों के अनुसार बंडा ब्लॉक के कंदवा गांव निवासी पुनऊ पटेल को पेट में दर्द की शिकायत थी। इलाज के लिए वह जिला अस्पताल में भर्ती हुआ था। यहां डॉ. मिथलेश चौबे ने उसे हॉर्निया का ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी। कोर्ट में दिए गए बयान के अनुसार डॉक्टर ने उससे ऑपरेशन करने के एवज में 10 हजार रुपए रिश्वत मांगी थी। इसकी लिखित शिकायत उसने 29 मई 2014 को पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त से की थी। पुलिस ने शिकायत की जांच करने के बाद आरोपी डॉक्टर को ट्रैप करने की योजना बनाई थी। इस दौरान पुनऊ की डॉ. मिथिलेश चौबे से फोन पर बात कराई गई। इस बातचीत में पुनऊ और डॉक्टर के बीच पांच हजार रुपए लेकर ऑपरेशन करने का सौदा तय हो गया। 30 मई 2014 को पुलिस ने योजना के अनुसार पुनऊ को सुबह 7.30 बजे आरोपी डॉक्टर के घर रिश्वत की राशि 5 हजार रुपए देने के लिए भेजा। राशि देकर जैसे ही पुनऊ डॉक्टर के जिला अस्पताल स्थित सरकारी आवास से बाहर निकला पुलिस ने छापा मारकर डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया। भ्रष्टचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) के तहत केस दर्ज कर चालान कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपी डॉक्टर को भ्रष्टाचार का दोषी माना। कोर्ट ने आरोपी को 4-4 साल के सश्रम कारावास तथा दोनों धाराओं में 30 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। दरअसल कोर्ट में शिकायतकर्ता पुनऊ अपने द्वारा डॉ. मिथलेश चौबे पर लगाए गए तमाम आरोपों से पलट गया। यहां तक कि उसने डॉक्टर को पहचानने तक से इंकार कर दिया। साथ ही लिखित शिकायत पर चस्पा फोटो और दस्तखत को भी नकार दिया। हालांकि कोर्ट ने लोकायुक्त द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर आरोपी डॉक्टर को दोषी मानकर सजा सुना दी। न्यायालय से जेल ले जाते समय डॉ. एमके चौबे की हालत अचानक बिगड़ गई। उन्हें सीने में दर्द और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत लेकर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया है, जहां उनका इलाज आईसीसीयू वार्ड में किया जा रहा है।