बैतूल (ईन्यूज़ एमपी)- हमारे पास ना तो ठीक से बिस्तर है और ना ही बच्चों के लिए गर्म कपड़े हैं। गर्मी का मौसम तो जैसे-तैसे कट जाता है लेकिन ठण्ड के मौसम में बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ठण्ड से बच्चे जब ठिठुरते हैं तो देखा नहीं जाता है लेकिन क्या करें? गरीब पाप का मूल होती है बेटा। जनआस्था का सहयोग इसी तरह से बना रहे ताकि हमारे जैसे गरीबों के बच्चे ठण्ड में भी मुस्कुराते रहे। यह शब्द उन माता-पिताओं के थे जिनके बच्चों के पास ठण्ड का सामना करने के लिए गर्म कपड़े नहीं थे। जब जनआस्था ने बच्चों को गर्म स्वेटर वितरित की तो बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता के चेहरे भी खुशी से खिल उठे। टीम ने चिन्हित किए गरीब बच्चे- लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने, प्यासों के कण्ठ तर करने और गरीबों की यथासंभव डेढ़ दशक से सहायतार्थ जनआस्था द्वारा गरीबों के बच्चों को ठण्ड से बचाने के लिए एक सप्ताह तक जनआस्था के टीम के कर्मठ सदस्यों द्वारा ऐसे बच्चे चिन्हित किए जिन्हें सहायता की आवश्यकता थी। एक सप्ताह में टीम ने ऐसे 130 बच्चों को चिन्हित किया जिनके पास ठण्ड का सामना करने के लिए गर्म कपड़े नहीं थे। ऐसे ही बच्चों को जनआस्था द्वारा स्वेटर वितरित करने का कार्य किया गया है। खिल उठे बच्चों के चेहरे- टीम जनआस्था द्वारा चिन्हित गरीब बच्चों को स्वेटर वितरित की गई तो बच्चों सहित उनके माता-पिता के चेहरे भी खुशी से खिल उठे। बच्चों ने माता-पिता ने कहा कि ठण्ड का मौसम सबसे अधिक तकलीफदेह होता है। गर्मी और बारिश का मौसम का तो हम सामना कर लेते हैं लेकिन ठण्ड के मौसम से लडऩा आसान नहीं होता है। बड़े तो जैसे-तैसे अपना काम चला लेते हैं लेकिन छोटे बच्चों को बेहद दिक्कतें होती है। जनआस्था द्वारा बच्चों को स्वेटर देकर नेक कार्य किया है। डेढ़ दशकों से जारी है सेवाकार्य- जनआस्था द्वारा डेढ़ दशक से प्रतिवर्ष गरीबों के सहायतार्थ यथासंभव कार्य किए जाते हैं। फिर चाहे मेधावी गरीब बच्चों की फीस भरने का मामला हो या फिर प्यासे कण्ठों को तर करने का मामला हो जनआस्था द्वारा बढ़चढ़कर गरीबों की सहायता की जाती रही है। जन आस्था के प्रेरणा स्रोत और मार्गदर्शक विनय वर्मा, सहयोगी संजय शुक्ला ने बताया कि दीन दुखियों की सहायता करने के अश्वमेघ यज्ञ में टीम जनआस्था के सभी कर्मठ सदस्यों द्वारा अपनी आहूति डाली जाती है ताकि जितना हो सके गरीबों के चेहरे पर मुस्कुराहट ला सके।