रायसेन: राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण के अंतर्गत जिला महिला सशक्तिकरण कार्यालय द्वारा एक दिवसीय दत्तक ग्रहण कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में बच्चों को गोद लेने और संस्थाओं द्वारा गोद देने की संपूर्ण प्रक्रिया तथा अधिनियमों की विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला में कलेक्टर श्री जेके जैन ने कहा कि अनाथ बच्चों के दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को सुगम, सरल और पारदर्शी बनाना आवश्यक है। ताकि आसानी से संभावित माता-पिता बच्चा गोद ले सकें। उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों के सुनहरे और सुरक्षित भविष्य के लिए दत्तक ग्रहण संबंधी नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए तथा इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाए। कार्यशाला में किलकारी संस्था भोपाल की संचालक अपूर्वा मंजुल शर्मा ने राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण द्वारा विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों के सहयोग से दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया के संचालन के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि किसी बच्चे को गोद लिया जाता है तो उस बच्चे के सम्पूर्ण दस्तावेज पूर्ण होना चाहिए। जैसे बच्चा मिलने पर उसकी एफआईआर, स्वास्थ्य परीक्षण रिपोर्ट एवं अन्य कार्यवाहियों को कैसे पूर्ण किया जाए। इसके अलावा उन्होंने बच्चे को गोद लेने वाले व्यक्तियों के लिए ऑनलाईन आवेदन की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री सुमन पिल्लई तथा संबंधित संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे। बच्चा प्राप्त होने पर प्रक्रिया किसी भी माध्यम से निराश्रित, बेसहारा, अभ्यर्पित बच्चा प्राप्त होने पर विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी 24 घण्टे के भीतर बाल कल्याण समिति एवं समीप के पुलिस थाने को सूचित करना होगा तथा बाल कल्याण समिति बच्चे के अभिरक्षण का आदेश जारी करेगी। विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी बच्चे के माता-पिता की खोज हेतु समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी करने के साथ-साथ सभी आवश्यक प्रयत्न करेगी। माता-पिता की जानकारी नहीं मिलने पर बाल कल्याण समिति से दत्तक ग्रहण हेतु बच्चे को विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित कराया जाएगा तथा विधिक रूप से स्वतंत्र होने के पश्चात ही बच्चे को गोद दिया जा सकेगा। बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया दत्तक ग्रहण करने वाले इच्छुक माता-पिता केवल एक मान्यता प्राप्त विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी में सभी अनिवार्य दस्तावेजों एवं शुल्क के साथ पंजीकरण कराएंगे। पंजीकरण की स्वीकार्यता की तिथि से अधिकतम दो माह के अंदर केवल व्यवसायिक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार की जाएगी। विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित बच्चो को संभावित माता-पिता को चयन के लिए एक समय में अधिकतम दो बच्चे दिखाए जाएंगे। माता-पिता की स्वीकार्यता के उपरांत माता-पिता की चिकित्सकीय रिपोर्ट का परीक्षण एवं बच्चे का चिकित्सकीय परीक्षण किया जाएगा। संभावित माता-पिता की स्वीकार्यता उपरांत बच्चे का उचित लालन-पालन किए जाने एवं बच्चे को संस्थागत जीवन से प्रथक कर पूर्णतः दत्तक ग्रहण पूर्व पारिवारिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए दत्तक ग्रहण पूर्व पालन पोषण देखरेख में दिया जा सकेगा। न्यायालय द्वारा दत्तक ग्रहण के लिए प्राप्त आवेदन पर विचार कर दत्तक ग्रहण का वैधानिक आदेश जारी किया जाएगा। न्यायालीन आदेश उपरांत पूर्ण रूप से दत्तक ग्रहण में देने के लिए उपरांत 03 वर्ष तक गृह अध्ययन के माध्यम से बच्चों का अनुश्रवण विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण एजेंसी करेगी। दत्तक ग्रहण प्रक्रिया की समीक्षा हेतु नोडल संस्था राज्य दत्तक ग्रहण एजेंसी एक संस्था है जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन कार्य करेगी। यह एक नोडल संस्था है जो प्रदेश में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया की समीक्षा करेगी एवं स्वदेशी दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देगी। प्रदेश में संचालित सभी संस्थाएं राज्य शासन से मान्यता प्राप्त करेगीं। विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण एजेंसी की मान्यता के लिए आवेदन किशोर न्याय अधिनियम के तहत किए जाएंगे। विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण एजेंसी राज्य शासन से मान्यता प्राप्त कर अनमोल www.adoptionmp.in में अपनी जानकारी संग्रहण करेगी। माता-पिता या पालक पंजीयन सेवा इच्छक माता-पिता अथवा पालक दत्तक ग्रहण के लिए अनमोल की वेबसाईट www.adoptionmp.in पर पंजीयन कर सकते हैं। पंजीयन प्रपत्र में सभी तरह के संभावनाओं को ध्यान रखते हुए कई विकल्प दिए गए हैं। पंजीयन प्रपत्र में विवाहित, अविवाहित, विधवा, विधुर, तलाकशुदा, महिला, पुरूष अथवा युगल, सभी के लिए पंजीयन का प्रावधान किया गया है। पंजीयन प्रपत्र में महिला अथवा पुरूष की वैवाहिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, राष्ट्रीयता विवरण, व्यावसायिक विवरण, संपर्क विवरण, पहचान विवरण जैसी जानकारियों को भरना अनिवार्य है। इच्छुक माता-पिता या पालक अपनी इच्छा अनुसार पंजीयन के लिए विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण एजेंसी चुन सकते हैं। पंजीयन प्रपत्र में दत्तक ग्रहण के लिए शिशि, बालक या बालिका की वरीयता भी माता-पिता या पालक तीन प्राथमिकताओं में दे सकते हैं।