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कार्यों में पारदर्शिता हेतु सूचना का अधिकार अधिनियम - राज्य सूचना आयुक्त


अशोकनगर: प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त श्री गोपालकृष्ण दण्डोतिया द्वारा शनिवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में जिला अधिकारियों की बैठक ली। मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग के आयुक्त द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की निहित बिन्दुओं की जानकारी जिले के अधिकारी, कर्मचारियों को दी।
राज्य सूचना आयुक्त श्री दण्डोतिया ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा-चार अधिनियम महत्वपूर्ण है। धारा-चार के अंतर्गत जानकारी प्रसारित की जा सकती है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारियों एवं विभागीय स्टाफ की समुचित जानकारियां 17 बिन्दुओं के तहत जिले की वेबसाइट पर अपलोड़ की जाए।
उन्होंने कहा कि अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पारदर्शी व्यवस्था, भ्रष्टाचार विमुक्त कार्यप्रणाली का क्रियान्वयन है। उन्होंने बताया कि अधिनियम के दायरे में सभी शासकीय एवं अनुदान प्राप्त संस्था शामिल है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पंचायत स्तर पर भी लोक सूचना अधिकारी का गठन किया गया है। सूचना के अधिकार के तहत मुहैया कराए जाने वाले जानकारी के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत आवेदन सीधे कार्यालय में अथवा डाक से प्रेषित किए जा सकते है। प्रत्येक आवेदन के साथ आवेदक स्वयं का पता लिखा लिफाफा संलग्न करना अनिवार्य किया गया है। यदि लिफाफा संलग्न नही है तो संबंधित लोक सूचना अधिकारी आवेदक को पता अंकित लिफाफा संलग्न करने के लिए कह सकता है यदि लिफाफा संलग्न करने से आवेदक द्वारा कोताही अथवा मना किया जाता है तो आवेदन आवेदक को मूलतः लौटाया जाए।
आयुक्त ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को जानकारी प्राप्ति में दी गई सहूलियतों को भी विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि बीपीएलधारी जिस क्षेत्र का रहवासी होगा उसी क्षेत्र अंतर्गत आने वाले कार्यालयों में बीपीएल कार्ड सूचना के अधिकार के तहत मान्य किया जाएगा अर्थात निकाय क्षेत्र का बीपीएल आवेदक यदि किसी ग्रामीण क्षेत्र के कार्यालय में बीपीएल कार्ड के आधार पर कार्यालयीन जानकारी प्राप्ति हेतु आवेदन प्रस्तुत करता है तो वह मान्य नही किया जाएगा। अन्य प्रत्येक के लिए आवेदन के साथ दस रूपए का पोस्टल आर्डर, स्टाम्प अथवा नगद राशि जमा करनी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार तहत प्राप्त आवेदन अधिकतम एक विभाग को अंतरण किया जा सकता है। अंतरण किए गए विभाग को मूलतः आवेदन के साथ-साथ उल्लेखित फीस भी अंतरण करनी होगी।
राज्य सूचना आयुक्त ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत किन-किन बिन्दुओं पर जानकारी नही दी जा सकती है पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के संबंध में अपनी शंकाओं का समाधान आयुक्त से जाना।
इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री एस.के.सेवले, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री एम.एल.वर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री ंविनोद कुमार चौहान,, संयुक्त कलेक्टर श्री ए.के.चॉंदिल सहित विभिन्न विभागों के जिलाधिकारी मौजूद थे।

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