ग्वालियर: शिशु गृह के निराश्रित बच्चों को अच्छे भोजन, खिलौने और कपड़ों से भी ज्यादा प्यार-दुलार एवं परिवार की जरूरत है। इसलिये दानदाता इस बात पर भी ध्यान केन्द्रित करें कि निराश्रित बच्चों की विधिवत गोद (दत्तक ग्रहण) की कार्यवाही हो। अर्थात इन बच्चों को भी परिवार मिल जाए। उक्त आशय के विचार कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ने व्यक्त किए। डॉ. गोयल पोस्को एक्ट (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम) और दत्तक ग्रहण विषय पर आयोजित हुई कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत यह कार्यशाला बुधवार को यहाँ तानसेन रेसीडेंसी में जिला बाल संरक्षण इकाई के तत्वावधान में आयोजित हुई। कलेक्टर डॉ. गोयल ने कार्यशाला में मौजूद प्रतिभागियों से कहा कि किसी भी नर्सिंग होम या अस्पताल, निजी संस्था या फिर पुलिस थाने को किसी भी बच्चे को गोद देने की अनुमति नहीं है। यदि इनके द्वारा ऐसा किया जाता है तो वह अपराध है। दत्तक ग्रहण संबंधी अंतिम आदेश न्यायालय द्वारा जारी किए जाते हैं। डॉ. गोयल ने इस मौके पर यह भी कहा कि लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण संबंधी अधिनियम का पालन कराने में जिला प्रशासन से हर संभव सहयोग मिलेगा। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहीं पुलिस महानिरीक्षक महिला अपराध सुश्री रेणु शुक्ला ने कहा कि बच्चों व महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक अपराधों को कभी हल्के में न लें। ऐसे अपराधों को गंभीरता से लिया जाए और उन्हें एक्ट के तहत कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए, जिससे समाज में अच्छा संदेश जाए। उन्होंने कहा सरकार ने ऐसे अपराधियों को सजा दिलाने के लिये कड़े कानून बनाए हैं। कार्यशाला में क्षेत्रीय समन्वयक महिला संसाधन केन्द्र श्री सुरेश तोमर, अध्यक्ष महिला नागरिक सहकारी बैंक श्रीमती अल्का श्रीवास्तव, सदस्य किशोर न्याय बोर्ड श्री किशनलाल हिण्डोलिया, चाईल्ड लाईन की प्रतिनिधि सुश्री नीलम झा, सदस्य बाल कल्याण समिति श्रीमती गायत्री दुबे तथा शिशु गृह मातृछाया एवं विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण के श्री अनुराग पाण्डेय ने भी उपयोगी जानकारी दी। कार्यशाला का संचालन जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री शालीन शर्मा ने किया। कार्यशाला में बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यगण, विशेष किशोर पुलिस इकाई, चाईल्ड लाईन, पुलिस थानों के बाल कल्याण अधिकारी, महिला थाना प्रभारी तथा स्कूल शिक्षा सामाजिक न्याय एवं महिला सशक्तिकरण विभाग के अमले ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में यह भी जानकारी दी गई बच्चा दत्तक (गोद) लेने के लिये बंतंण्दपबण्पद पर ऑनलाईन पंजीयन अनिवार्य। दत्तक ग्रहण के अंतिम आदेश न्यायालय द्वारा जारी किए जाते हैं। भावी दत्तक माता-पिता की शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और वित्तीय स्थिति सुदृढ़ होनी चाहिए। एकल महिला ले सकती है बालक या बालिका को गोद। मगर एकल पुरूष को बालिका गोद लेने की पात्रता नहीं। गोद लेने के इच्छुक दम्पत्ति के विवाह को कम से कम दो वर्ष पूर्ण होना अनिवार्य।