रीवा: प्रदेश के ऊर्जा, खनिज साधन एवं जनसम्पर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के मुख्य आतिथ्य में आज स्थानीय शासकीय विधि महाविद्यालय में विधि दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संविधान की उद्दिश्यका का समवेत स्वरों में वाचन कर संकल्प लिया गया। कार्यक्रम के दौरान महापौर ममता गुप्ता, प्रभारी कुलपति डॉ. सी.के.शर्मा, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा ऊषा अवस्थी, वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम सिंह, प्रचार्य विधि महाविद्यालय डॉ. सुरेन्द्र प्रताप सिंह, महाविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में ऊर्जा एवं जनसम्पर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि हमें नियम-कानूनों के पालन की प्रवृत्ति विकसित करना होगी। उन्होंने विभिन्न देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वे लोग स्वभावत: नियम-कानूनों का पालन करते हैं। हमें भी उनके स्तर तक आना होगा। सही जगह गाड़ी पार्किंग करना, ट्रेफिक रूल का पालन करना, सड़कों पर कचरा न फेंकना जैसी बातों को हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। हमारे मन में नियम-कानूनों के प्रति आदर का भाव होना चाहिए क्योंकि ये हमारी सुविधा के लिये ही बनाये गये हैं। राजेन्द्र शुक्ल ने देश के संविधान की चर्चा करते हुए कहा कि यह हमारे लिये गौरव और सम्मान का विषय है कि हमारे पास विश्व का उत्कृष्ट संविधान है। सबका साथ, सबका विकास, समता, समानता और सभी के लिये समान अवसर हमारे संविधान की मंशा है। संविधान की छाया में निर्मित नियम-कानूनों के माध्यम से ही हम एक श्रेष्ठ और सुखी समाज की रचना कर सकते हैं। उन्होंने विधि दिवस के आयोजन पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह आम जन को कानून के प्रति जागरूक करने का सशक्त माध्यम है। हमें कानून का पालन करने वाले नागरिकों का श्रेष्ठ समाज गढ़ना है जिससे देश की उन्नति हो। ऊर्जा एवं जनसम्पर्क मंत्री ने विधि महाविद्यालय के छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामना देते हुए कहा कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग रचनात्मक कार्यों में लगाते हुए देश और प्रदेश की प्रगति को नई दिशा दें। राजेन्द्र शुक्ल ने महाविद्यालय की विभिन्न समस्याओं को ध्यान से सुना और आश्वस्त किया कि सभी समस्याओं का क्रमिक रूप से निराकरण करने की पहल की जायेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम सिंह ने भारत के संविधान की विशिष्टताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और विधि छात्रों से कहा कि वे इसका अध्ययन अवश्य करें। उन्होंने डॉ. अम्बेडकर का पुण्य स्मरण भी इस अवसर पर किया और कहा कि यह चिंतन का विषय है कि संविधान के अनुरूप सामाजिक रचना अपना आकार क्यों नहीं ले रही है। घनश्याम सिंह ने न्यायिक स्वतंत्रता की भी चर्चा इस अवसर पर की। उन्होंने कहा कि कानून एक श्रेष्ठ समाज की रचना में सहायक होता है। उन्होंने विधि छात्रों से कहा कि विधि व्यवसाय समाज सेवा का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने छात्रों को एक श्रेष्ठ अधिवक्ता बनने का व्यवहारिक ज्ञान भी दिया और कहा कि धैर्य, लगन, परिश्रम और सतत ज्ञान अर्जन से वे अपने व्यवसाय में श्रेष्ठ स्तर पर पहुंच सकते हैं। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रभारी कुलपति डॉ. सी.के.शर्मा ने कहा कि लोगों को कानून के प्रति जागरूक किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नियम-कानून तो सक्षम है आवश्यकता इस बात की है कि क्रियान्वयन एजेंसी इनका प्रभावी ढ़ंग से पालन कराएँ। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने विषय प्रवर्तन किया और विधि दिवस मनाये जाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने महाविद्यालय की विभिन्न समस्याओं की ओर इंगित करते हुए ऊर्जा मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया और उनसे समाधान का अनुरोध किया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि व अन्य अतिथियों के कार्यक्रम स्थल पहुंचने पर महाविद्यालय परिवार ने उनका आत्मीय स्वागत किया। माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन व माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ हुआ। छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत और म.प्र. गान की प्रस्तुति की। आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।