दतिया: संविधान विधि की आत्मा है और संविधान के प्रतिकूल किसी विधि का निर्माण नहीं किया जा सकता। यदि कोई विधि संविधान के विपरीत बनाई गई है तो वो शून्य होती है। देश मे आपातकाल को छोड़कर मौलिक अधिकारों का निलंबन नहीं किया जा सकता। अधिवक्ताओं को संविधान की मूल भावना के अनुकूल विधि का प्रकाश चहुं और फैलाने का प्रयास करना चाहिए यह बात जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री एच.एन. वाजपेयी ने जिला न्यायालय के सभाकक्ष में आयोजित विधि दिवस के कार्यक्रम को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम में पूर्व अध्यक्ष जिला अभिभाषक संघ दतिया श्री शिवराज सिंह जाट ने संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित धर्म निरपेक्षता पर अपने विचार प्रकट किये तो वही अध्यक्ष जिला अभिभाषक संघ श्री कु. महिपाल सिंह द्वारा व्यक्त किया गया कि भारतीय संविधान में धर्मनिरेपक्षता को समाहित किया गया है तथा हर व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है। लोकतांत्रिक राष्ट्र मे असहिष्णुता की बात न करें बल्कि संविधान के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करने का प्रयत्न करें। अधिवक्ता श्री टी.एन. चतुर्वेदी द्वारा संविधान निर्माण एवं संविधान संशोधन से जुड़ी प्रसंग के बारे में बताया। मंच का संचालन श्री राकेश बंसल जिला रजिस्ट्रार/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम में श्री बी.एस. औहरिया विशेष न्याधीश एस.सी.एस.टी, श्री अशोक शर्मा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्री राजीव राव गौतम न्यायिक मजिस्ट्रेट, कु. शैलजा गुप्ता न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, श्री मनोज सिंह चौहान सचिव जिला अभिभाषक संघ, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री श्रीराम शर्मा, श्री गिरिराजशरण शुक्ल सहित अधिवक्तागण उपस्थित रहे।