ग्वालियर: प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा है कि महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा बनाए गए सिद्धांतों का अनुशरण करके ही हम समाज को रचनात्मक क्षेत्र की ओर बढा सकते हैं। मंत्री श्रीमती माया सिंह आज गंगा विहार कॉलोनी में लव-कुश कॉन्वेंट स्कूल में वेद आर्य समाज मंदिर समिति के तत्वावधान में आयोजित दसवाँ वैदिक सत्संग व वार्षिकोत्सव समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहीं थीं। समारोह की अध्यक्षता मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि समाज के उपप्रधान श्री परमार सिंह कुशवाह ने दी। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश के नगरीय कल्याण एवं सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती के उपदेशों पर चलकर ही मनुष्य कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। मौके पर वेद आर्य समाज मंदिर समिति की ओर से अतिथियों सहित समाज कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले महानुभावों को सम्मानित किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने दसवें वैदिक सत्संग एवं वार्षिकोत्सव में वेद आर्य समाज द्वारा उल्लेखनीय कार्य करने वालों के सम्मान के लिये समिति के पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि आर्य समाज मानव कल्याण के लिये कार्य कर रहा है, यह प्रशसनीय है। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज के कल्याण के लिये जो 10 सिद्धांत बनाए हैं, वे सभी प्रेरणादायी है। इन सिद्धांतों का हमें अनुशरण करना चाहिए। स्वामी दयानंद सरस्वती के सिद्धांतों पर चलकर हम किसी के प्रति द्वेष की भावना नहीं रखें। कभी असत्य नहीं बोलें। सत्य के मार्ग पर चलकर जन कल्याण की सेवा करें। श्रीमती माया सिंह ने कहा कि हमारे विद्यालयों में भी अच्छे संस्कारों के लिये महापुरूषों के जीवन पर शिक्षा दी जा रही है। इसी के साथ व्यायाम, योगा की भी शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि मैं आर्य समाज की पद्धति से होने वाले विवाहों से काफी प्रभावित हूँ। यह विवाह वैदिक पद्धति, मंत्रोचार के साथ, अडम्वर रहित होते हैं। हमें रूढीवादी परंपराओं एवं कुरीतियों से दूर रहना चाहिए। यही सिद्धांत महर्षि सरस्वती जी के थे। जिन्हें अपने जीवन में उतारना चाहिए। उन्होंने कहा कि महर्षि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को अपनाने वाले व्यक्ति ही समाज को रचनात्मक क्षेत्र की ओर आगे बढ़ा सकते हैं। नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि सत्संग के माध्यम से धार्मिक गंगा बहती है वहाँ जीवन अनांदमय हो जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य की आयु बहुत छोटी होती है, बहुत तपस्याओं के बाद ही मनुष्य का जन्म बड़े सौभाग्य से मिलता है। हमें भगवान ने अच्छे काम, मानवीय सेवा के लिये भेजा है। फिर ईर्शा, झगड़े क्यों है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती भारत के आजादी आंदोलन में पूरी सक्रियता के साथ रहे। उन्होंने समाज को इकठ्ठा करके जाति प्रथा को समाप्त करते हुए इसे धार्मिकता से जोड़ने का काम किया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी का मानना था कि असमान्यता और मतभेद समाज को कभी इकठ्ठा नहीं होने देते। ऐसी असामानता और मतभेदों को स्वामी जी ने खत्म किया है। श्री आर्य ने वर्तमान स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि कुछ लोग आज हमारी पवित्र संस्कृति को धूमिल करना चाहते हैं। हमारे महापुरूषों के साथ कुठाराघात कर रहे हैं। यह सब नहीं होना चाहिए। सभी का सम्मान करना, भाईचारे के साथ रहना इस देश की संस्कृति रही है। इसी पर हम सभी को कायम रहना है। मौके पर क्षेत्रीय पार्षद द्वारा उठाए गए वार्ड क्रमांक-18 एवं 19 के विकास पर चर्चा करते हुए राज्य मंत्री श्री आर्य ने कहा कि दोनों वार्डों के विकास के लिये हर संभव प्रयास होंगे। पर्याप्त सम्मानजनक धनराशि भी उपलब्ध कराई जायेगी। महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि मैं आज यहाँ आकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने जीवन केसे जिया जाए, मानवता की सेवा के लिये उनके द्वारा बताए गए उपदेशों को अपने जीवन में उतारें, तभी हमारी सच्ची श्रृद्धा स्वामी जी के प्रति होगी। ग्वालियर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अभय चौधरी ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती के सिद्धांतों का महत्व जितना पहले था उतना ही आज है। नारियों को जो सम्मान मिला वह उन्हीं की देन है। वे बाल विवाह के विरोधी रहे, उन्होंने इस दिशा में कई काम किसे। कार्यक्रम को क्षेत्रीय पार्षद श्री बलवीर सिंह तोमर, श्री सुरेन्द्र सिंह तोमर ने भी संबोधित किया। अंत में आभार मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि समाज के उप प्रधान श्री परमार सिंह कुशवाह ने व्यक्त किया। इस मौके पर समाज की अध्यक्षा श्रीमती साधना सिंह, सचिव अशो कुमार आर्य, कूल संचालक सियाराम सिकरवार, प्रदीप पाठक सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।