उज्जैन: वैकुण्ठ चतुर्दशी व कार्तिक मास की पूर्णिमा के पावन अवसर पर रामघाट के सामने श्री गुरू दत्त अखाड़ा पर दैनिक पत्रिका परिवार एवं दत्त अखाड़ा आश्रम के तत्वावधान में आयोजित माँ शिप्रा की महाआरती के आयोजन में संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर शामिल हुए। महाआरती के पश्चात् डॉ.पस्तोर ने रामघाट एवं दत्त अखाड़ा पर माँ शिप्रा में दूर-दराज से आये हजारों श्रद्धालुओं को माँ शिप्रा की शुद्धता एवं उसकी पवित्रता को कायम रखने के लिये संकल्प दिलाया। उन्होंने आम श्रद्धालुओं से यह भी संकल्प दिलाया कि शिप्रा को पवित्र रखकर अपने जीवन में पुण्य कमायें। इस अवसर पर परमहंस श्री अवधेशपुरीजी महाराज ने भी आम श्रद्धालुओं को संकल्प दिलाया कि शिप्रा को पवित्र रखेगे इसमे कोई किसी भी प्रकार की वस्तु न डालेगे जिससे शिप्रा का जल प्रदूषित न हो। आपने आने वाले सिंहस्थ में पूर्ण तन-मन-धन से सफल बनाने की प्रतिज्ञा दिलाई। प्रतिज्ञा के पूर्व संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर ने बुधवार 25 नवम्बर की शाम को शिप्रा महाआरती में शामिल होकर पूजन-अर्चन किया। गुरू दत्त अखाड़ा की ओर से दत्त अखाड़ा पर लगभग पांच हजार दीप जलाये गये। घाट पूर्ण रूप से दीपों की टीमटीमाती लौ से जगमग हो गया। इस अवसर पर गायक ज्वलन्त शर्मा, अमित शर्मा व अन्य साथियों के द्वारा सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी गई, जिससे हजारों श्रद्धालुओं ने करतल ध्वनि से उत्साहवर्द्धन किया। शिप्रा महाआरती के अवसर पर संभागायुक्त के अलावा परमहंस श्री अवधेशपुरीजी महाराज, श्री आनन्दपुरी महाराज, पं.नारायण उपाध्याय, पं.गौरव उपाध्याय, दैनिक पत्रिका के श्री राजीव जैन व पत्रिका परिवार के अन्य पदाधिकारी, श्रद्धालुजन आदि उपस्थित थे। मान्यताओं के अनुसार पवित्र नदियों के तट पर धार्मिक रीति-रिवाज से महाआरती का विशेष महत्व है। इसी क्रम में बुधवार 25 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने रामघाट एवं दत्त अखाड़ा के घाट पर शिप्रा नदी में टीमटीमाते दीये छोड़कर पूजा-अर्चना की। शिप्रा में स्नान करने से समस्त ज्वर का सम्बन्ध होता है और रोग समाप्त होते हैं। इसीलिये शिप्रा को ज्वरघ्नि नाम से जाना जाता है। तीर्थ पूजन एवं दान करने से धनदान की प्राप्ति होती है। माँ शिप्रा में दीप, कपूर, जल आरती करने का बड़ा महत्व है।