पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने पांचवें बजट भाषण में इसका जिक्र करेंगे और पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल कर बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने की कोशिश की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि जेटली ने एक्साइज ड्यूटी घटाने का ऐलान कर दिया जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रति लीटर 2 रुपये की कमी हो जाएगी. इससे आम लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से पेट्रोल के दाम 80 रुपये के आंकड़े को भी छू चुकी है और जिस तरह से कीमतों में उतार-चढ़ाव दिख रहा उससे लगता है कि यह जल्द ही तीन अंकों को छू जाएगी. पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी बजट से पहले बेतहाशा बढ़ते पेट्रोल कीमतों में कमी लाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली से पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी घटाने का सुझाव दिया था. माना जा रहा था कि सरकार साहसिक कदम उठाते हुए इसे गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के दायरे में लाकर लोगों को राहत देगी. अगर वित्त मंत्री इसे जीएसटी में शामिल करने के सुझाव को मान लेते तो आम लोगों को पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से बड़ी राहत मिल जाती. हालांकि सरकार को इसके लिए सख्त होना पड़ता क्योंकि ऐसा करने पर उसके राजस्व की भारी कमी आ जाती. वैसे एक्साइज ड्यूटी कम किए जाने से भी सरकार के कुल राजस्व पर गहरा असर पड़ेगा, लेकिन जनता को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी घटाने से उसके राजकोषीय घाटे को 3.2 फीसदी पर रखने का लक्ष्य को हासिल करना अब मुश्किल हो जाएगा. जनता को फौरी तौर पर राहत तो जरूर मिलेगी लेकिन इससे देश की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कई नई चुनौतियां आ सकती हैं.