छिंदवाड़ा(ई न्यूज एमपी)- तामिया से 40 किमी दूर वन विभाग की छिंदी रेंज के मोहली माता गांव के लोग बाघ के हमले की शिकार हुई छह साल की मासूम कल्पना का अंतिम संस्कार करके ही घर लौटे थे, तभी इस गांव से तीन किमी दूर बाबई पठार के झोलीढाना में घर के दरवाजे पर बैठे एक दस साल के बच्चे को बाघ दबोच ले गया। खाना बना रही मां जलती लकड़ी लेकर बाहर निकली और शोर मचाया तो बाघ बच्चे को छोड़कर भाग गया। कुछ दूर उसके बेटे का खून से लथपथ शव मिला। रविवार की दोपहर मोहली माता के जंगल में मां रोशनी और बड़ी बहन के साथ लकड़ी लेने गई छह साल की कल्पना को बाघ ने दबोच लिया था, जिससे बच्ची की मौके पर मौत हो गई थी। वहीं दूसरी ओर मोहली माता से तीन किमी दूर झीलढाना निवासी अशोक तेकाम का दस साल का बेटा हरसेस शाम 7:30 बजे अपने घर के दरवाजे पर बैठा था और उसकी मां अनुसुइयाबाई खाना बना रही थी, तभी बाघ ने हरसेस पर झपट्टा मारा और दबोचकर ले गया। दीवार पर खून के छींटे देखकर और किसी जानवर की गुर्राहट सुनकर मां अनुसुइया शोर मचाते हुए जलती हुई लकड़ी लेकर अपने बेटे को तलाशने निकली। तभी गांव के और लोग भी वहां पहुंच गए। उन्होंने मशाल जलाकर हरसेस को तलाशा तो कुछ दूरी पर उसका शव पड़ा मिला। पांच गांव के लोगों ने बाघ को रातभर तलाशा दो गांवों में बाघ द्वारा किए गए शिकार से पांच गांवों के लोगों में हड़कंप मच गया। मोहली माता, बाबई पठार, बटकाखापा, हर्रई, कुंडाली, अमरवाड़ा और छिंदी के ग्रामीणों ने वन अमले और पुलिस के साथ रातभर गांवों के आसपास और जंगल में बाघ की तलाश की। लेकिन वह नहीं मिला। बाघ है या तेंदुआ वन विभाग तय नहीं कर पा रहा ग्रामीणों का कहना है कि दोनों बच्चों पर बाघ ने हमला किया है। उन्होंने उसे देखा है। लेकिन वन विभाग के एसडीओ बीआर सिरसाम का तर्क है कि जो पगमार्क मिले हैं, उससे बच्चों पर हमला करने वाला तेंदुआ हो सकता है। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर जंगली जानवर के बाल मिले हैं, उसे डीएनए टेस्ट के लिए भेजा जाएगा, इसके बाद ही खुलासा होगा कि यह बाघ है या तेंदुआ।