हरदा (ई न्यूज़ एमपी ) छिरपुरा के किसान बसन्त वर्मा अपने पॉली हाउस में पान की पैदावार लेकर पैसों के मामले में निश्चित है। श्री वर्मा कहते हैं कि इस खेती में बड़ी महत्वपूर्ण बात ये है कि एक बार पान की बेल लगाने के बाद सालो आप इससे पत्ते लेते रहते है। बार - बार बीज (बेल) लगाने की आवश्यकता ही नही होती है। इस खेती ने हमे विषम परिस्थितियों में बहुत सहारा दिया है। खेती में नए प्रयोग और अच्छा मुनाफा कमाने इस किसान ने अपने खेत में मीठा पान उगा लिया। परंपरागत खेती से अलग हटकर यह प्रयोग हरदा जिले में पहली बार हुआ है, जब किसी किसान ने अपने खेत में पॉली हाउस बनाकर पान की खेती शुरू की। कोलकाता से लाई गई पान की हरी-भरी बेलें फैल गई हैं। यह संरक्षित खेती है। पॉली हाऊस बनाने से पान की फसल तेज गर्मी, पाले व बरसात की वजह से नष्ट नहीं होती। एक बार रोपाई करने के बाद 20 साल रोपाई की जरूरत नहीं। श्री वर्मा ने उद्यानिकी विभाग की योजना अंतर्गत पॉली हाउस लगवाया था। जिसकी लागत 9 लाख 37 हजार रुपए थी। विभाग द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान दिया गया। जिसमे किसान द्वारा जून 2014 में कोलकाता की सुप्रसिद्ध सोफिया पान की प्रजाति को मध्यप्रदेश में पहली बार अपने पोली हॉउस में लगाया। एक हजार वर्ग मीटर के पॉलीहाउस में कलकत्ता से 10 हजार पान का बीज (बेल) लाकर लगाई। जिसमे एक साल में चार लाख पत्तो का उत्पादन हुआ। वे बताते है कि एक पान का पत्ता एक रुपए से लेकर दो रुपए तक भोपाल इंदौर इटारसी खण्डवा में पान विक्रेताओं को दिया। सबसे खासियत इस पान की ये रही कि हमने इसे पूर्ण जैविक विधि से पैदा किया जिसमें जीवामृत ओर सरसो की खली,दूध, मठा, नीम तेल का उपयोग किया जिससे लागत में भारी कमी आई। इसमें मौषम के बदलाव के समय विशेष ध्यान रखना होता है। सिंचाई हेतु ड्रिप एवं फागर लगाए है। पान का स्वाद कलकत्ता से आने वाले पान से ज्यादा अच्छा आया। लोगो को इसका लाजबाब स्वाद खूब भा रहा है। अभी हाल ही में 18 दिसंबर को ही 20 हजार पान के पत्ते एक रु 70 पैसे प्रति पत्ता की दर से इंदौर भिजवाये है। वे गर्व से कहते हैं कि हमारी सफलता से प्रभावित होकर इंदौर और भोपाल में चार एकड़ के पॉलि हाउस किसानों को इस पान की प्रजाति को लगवाया है।