गुना(ईन्यूज़ एमपी)- कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से पूछा कि सी.एम.हेल्पलाइन के उनके पास किस तरह के शिकायती पत्र लंबित हैं, तो उन्होंने कलेक्टर को बताया कि टीकाकरण ना होने तथा प्रसूति सहायता राशि उपलब्ध ना कराने संबंधी जैसे प्रकरण लंबित रहने की शिकायतें हैं, जिन पर कार्रवाई नहीं हुई है। इस पर कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को आड़े हाथों लिया और पूछा कि टीकाकरण क्यों नहीं हुआ है। आप क्या देख रहे हैं। कितने सेंटर खुल रहे हैं और वहां काम हो रहा है या नहीं, आप स्वयं फील्ड में जाकर देखें। कलेक्टर ने फिर पूछा कि जब किसी गर्भवती महिला को प्रसव हुआ है, तो हितग्राही को प्रसूति सहायता राशि क्यों नहीं दिलवाई गई। हितग्राही को प्रसूति सहायता राशि समय पर दिलवाना सुनिश्चित करें, ताकि किसी को शिकायत का मौका ही ना मिले। अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के कार्य की नियमित मानीटरिंग करें। जो संविदा कर्मचारी इन कार्यों के प्रति उदासीन रहें, उन्हें सेवा से बर्खास्त करें। महिला एवं बाल विकास विभाग में सी.एम.हेल्पलाइन की लंबित शिकायतों पर कलेक्टर के सवाल पर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्र ना खुलने संबंधी शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इस पर कलेक्टर ने जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास को आड़े हाथों लिया और उनसे पूछा कि आंगनवाड़ी केन्द्र खुल रहे हैं या नहीं, इसके बारे में आप सुवरवाइजरों से पूछते हैं कि नहीं? आप स्वयं भी आंगनवाड़ी केन्द्रों का औचक निरीक्षण करते हैं कि नहीं? कलेक्टर ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह गंभीर बात है कि किसी के द्वारा की गई शिकायत की जांच के लिए आपने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। कलेक्टर ने जिला कार्यक्रम अधिकारी से कहा कि टीकाकरण ना होने की शिकायत मिलने पर दूरभाष पर संबंधित स्वास्थ्य कार्यकर्ता से बात कर वहां टीकाकरण कराना सुनिश्चित करें। जिला कोषालय में दीगर विभागों के शासकीय सेवकों का वेतन रोके जाने की ओर ध्यान आकर्षित कराने पर कलेक्टर ने जिला कोषालय अधिकारी के प्रतिनिधि को आड़ेहाथों लिया और उनसे साफ शब्दों में कहा कि अब अगर कोषालय में दीगर विभाग के किसी शासकीय सेवक का अनावश्यक वेतन रोका गया तो आपका और जिला कोषालय अधिकारी का वेतन रोक दिया जाएगा। कलेक्टर ने साफ शब्दों में कहा कि वेतन को लेकर किसी शासकीय सेवक को तंग ना किया जाए। कलेक्टर ने कहा कि वेतन को लेकर कोषालय के अधिकारी संवेदनशील रहें और स्वयं को कोषालय का मालिक ना समझें। उनका उत्तरदायित्व है कि बगैर विलंब के शासकीय सेवकों को वेतन का भुगतान करना सुनिश्चित करें।