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संत कबीर की शिक्षा समाज के लिये संजीवनी:राष्ट्रपति कोविंद

भोपाल(ईन्यूज़ एमपी)- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि संत कबीर ने अन्याय और आडम्बर से मुक्त समानता पर आधारित समाज का ताना-बाना बुना था। उनकी शिक्षा समाज के लिये संजीवनी है। वे गहरे अर्थों में निर्बल लोगों के पक्षधर थे। वे संत से बड़े समाज सुधारक थे। राष्ट्रपति कोविंद आज यहाँ लाल परेड मैदान पर आयोजित कबीर महोत्सव में संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा है कि संत कबीर ने अंधविश्वास और पाखण्ड पर कठोर प्रहार किया था। संविधान में न्याय, समानता और बंधुत्व के आदर्श कबीर से प्रेरित है। संत कबीर मानव प्रेम के पक्षधर थे। उन्होंने आव्हान किया है कि मानवता से प्रेम करने के आदर्श पर चलकर देहदान करें। मानव अंगों के दान से कई लोगों को जीवन मिल सकता है। संत कबीर की वाणी का उल्लेख गुरू नानक ने गुरूग्रंथ साहिब में किया है। संत कबीर की शिक्षा समानता और समरसता की है। साहस के साथ अंध विश्वास को समाप्त करना ही निर्भीकता है। कबीर ने अपने जीवन में इसका उदाहरण प्रस्तुत किया था।

मध्यप्रदेश का विकास समावेशी और संवेदनशील सोच पर आधारित:-
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि संत कबीर के जीवन का मुख्य संदेश सबको समानता के साथ आगे बढ़ने का अवसर देना है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य सरकार इसी दिशा में समावेशी विकास के लिये कार्य कर रही है। आर्थिक विकास में सफलतम प्रदेश मध्यप्रदेश में सबको विकास के अवसर उपलब्ध कराये हैं। प्रदेश की जीडीपी एक लाख करोड़ रूपये से बढ़ कर पाँच लाख करोड़ रूपये तक पहुँच गयी है। यह विकास समावेशी और संवेदनशील सोच पर आधारित है। इसी सोच से लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना बनी है। कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। समाज के अंतिम व्यक्ति के विकास को ध्यान में रखकर योजनायें क्रियान्वित की जा रही हैं। संत कबीर का मध्यप्रदेश से गहरा नाता रहा है। प्रदेश के बांधवगढ़ में उन्होंने लम्बा प्रवास किया था। वहाँ पर कबीर गुफा तीर्थस्थल है। मध्यप्रदेश की हर हिस्से की अपनी गौरव गाथा है। यहाँ सांची में बौद्ध स्तूप तथा अमरकंटक में प्रथम जैनतीर्थंकर श्री ऋषभदेव का मंदिर है। उज्जैन और ओमकारेश्वर में ज्योर्तिलिंग हैं। उज्जैन का सिंहस्थ कुंभ प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश की धरती ने संगीत सम्राट तानसेन, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख, सुरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर और बाबा साहेब अंबेडकर जैसे अनगिनत रत्न पैदा किये है।

संत कबीर ने दिया सामाजिक समरसता का संदेश:-
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संत कबीर का दर्शन आज भी प्रासंगिक है। उनका यह दर्शन पूरे जीवन को बदल सकता है। साथ ही भौतिकता के अग्नि में दग्ध विश्व को शाश्वत शांति का दिग्दर्शन कराने में सक्षम है। संत कबीर ने समानता और सामाजिक समरसता का संदेश दिया है। संत कबीर ने जात-पात को महत्व न देते हुये ज्ञान और प्रेम को महत्व दिया है। उन्होंने रूढ़ियों और पाखण्डों का विरोध किया है। श्री चौहान ने संत कबीर के दोहे और साखियों का उल्लेख करते हुये कहा कि भगवान उसी तरह हर घट में रहते हैं जिस तरह मेहंदी के पत्तों में लाल रंग छिपा रहता है। यदि कहीं भगवान हैं तो गरीबों में हैं। गरीब की सेवा ही भगवान की पूजा है। उसी के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार गरीबों के कल्याण का कार्य कर रही है।

कबीर सम्मान कार्यक्रम में राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कबीर सम्मान से तीन शब्दशिल्पियों सर्वश्री रेवाप्रसाद द्विवेदी (बनारस), सुश्री प्रतिभा सत्पथी (भुवनेश्वर) और श्री के.शिवारेड्डी (हैदराबाद) को सम्मानित किया। इन्हें पुरस्कार स्वरूप तीन लाख रूपये और सम्मान पट्टिका भेंट की गयी। उन्होंने मध्यप्रदेश में कबीर ग्रंथ का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायक प्रहलाद टिपाणिया और उनके साथियों ने भजन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव, सांसद एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, संस्कृति राज्यमंत्री सुरेन्द्र पटवा, सहकारिता राज्यमंत्री विश्वास सारंग, सांसद सत्यनारायण जटिया और चिंतामन मालवीय, नारायण केशरी, राष्ट्रपति की पत्नी सविता कोविंद, मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह सहित बड़ी संख्या में कबीर पंथ के संतगण और अनुयायी तथा जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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