इन्दौर : विश्व में तम्बाकू उत्पादों का उपयोग मृत्यु का सबसे मुख्य कारण बनता जा रहा है, जिसे रोका जा सकता है। भारत में बीमारियों की रोकथाम एवं इलाज पर होने वाले खर्चे में 40 प्रतिशत सिर्फ तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज पर ही खर्च होता है। मध्यप्रदेश में कुल 60 प्रतिशत पुरूष तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते हैं, जबकि प्रदेश की 16 प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू का इस्तेमाल करती हैं। युवाओं एवं बच्चों में तम्बाकू उत्पादों का बढ़ता उपयोग चिंता का विषय है। भारत सरकार ने तम्बाकू के बढ़ते उपयोग को रोकने के लिये तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003 सम्पूर्ण भारत में लागू किया है। इस अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने हेतु भारत शासन द्वारा विभिन्न विनियम भी अधिसूचित किए गए हैं। यह अधिनियम उन सभी उत्पादों पर लागू होता है, जिनमें किसी भी रूप में तम्बाकू है। इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं - सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध है जैसे सभागृह, अस्पताल, रेलवे स्टेशन व प्रतीक्षालय, मनोरंजन केन्द्र, रेस्टारेंट व शासकीय कार्यालयों, न्यायालय परिसर, शिक्षण संस्थानों, पुस्तकालय, लोक परिवहन, अन्य कार्य स्थल, कार्यालय व दुकानें आदि। सार्वजनिक स्थानों पर इस संबंध में सूचना पट लगाए जाना अनिवार्य है। तम्बाकू उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिये विज्ञापन, उनके द्वारा प्रयोजन एवं प्रोत्साहन निषेध है। 18 वर्ष से कम आयु के अवयस्क व्यक्ति को/के द्वारा तम्बाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है। शैक्षणिक संस्थानों के 100 मीटर की परिधि में तम्बाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है। तम्बाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित होनी चाहिये। सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने तथा किसी अल्पवयस्क व्यक्ति को/के द्वारा तम्बाकू उत्पाद बेचने के अपराध में 200 रूपये तक जुर्माना हो सकता है।