जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। विभिन्न शाखाओं में सालों तक हुए घपले और घोटालों की परतें एक-एक करके जांच में खुल रहीं हैं। बैंक की डभौरा शाखा द्वारा सेंड्री अकाउंट के जरिए किए गए घपले की रकम नई जांच में जहां 17 करोड़ के पार पहुंच गई है, वहीं नेफ्ट की जांच में करीब 7.5 करोड़ का हिसाब-किताब और नहीं मिला। लिहाजा बैंक में हुए घोटाले की कुल रकम 25 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। नया खुलासा होने के बाद से बैंक के कर्मचारियों में हड़कंप की स्थिति है। हालांकि उपायुक्त सहकारिता द्वारा बनाई गई नई टीम के सर्वे में हुए नए खुलासे का जांच प्रतिवेदन अभी नहीं सौंपा गया है। ऐसे हुआ खुलासा सहकारिता विभाग के सहायक पंजीयक ऑडिटर एके द्विवेदी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम विशेष ऑडिट के लिए डभौरा शाखा भेजी गई थी। जहां ऑडिट के दौरान सेंड्री अकाउंट घोटाले की राशि 17 करोड़ तक पहुंच गई। आडिट टीम ने यह जांच 25-26 जुलाई को पूरी कर ली थी। रिपोर्ट 30-31 जुलाई को सौंपी जानी थी, लेकिन ऑडिट रिपोर्ट सौंपने से पहले नेफ्ट द्वारा की गई जांच में जिले की सगरा, गोविंदगढ़, गढ़, हनुमना, चाकघाट, जवा, बैकुण्ठपुर, सेमरिया, मनगवां की शाखाओं में साढ़े 7 करोड़ रुपए का हिसाब नहीं मिला। अब ऑडिट प्रमुख एके द्विवेदी ने पत्र लिखकर सभी बैंक प्रबंधकों से भेजी गई राशि, खाता धारकों का नाम और प्रयोजन मांगा है। मैन्युअल से रिकार्ड गायब बैंक से जुड़े सूत्रों की मानें तो सेंड्री अकाउंट घोटाले की जांच के लिए भोपाल से आई टीम भले ही कई जानकारी लेकर लौट गई हो, लेकिन टीम को मैन्युअल से सीबीएस हुए रिकार्ड नहीं मिले हैं। यह रिकार्ड डभौरा शाखा और जिला केन्द्रीय बैंक से गायब हो चुके हैं। जिससे यह जानकारी नहीं मिल पा रही है कि मैन्युअल कामकाज के दौरान किन खातों में राशि ट्रांसफर की गई थी। यह है मामला डभौरा बैंक से नेफ्ट के माध्यम से साढ़े 7 करोड़ रुपए अन्य खातों में ट्रांसफर किए गए हैं। उसका हिसाब जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में नहीं है। जबकि बैंक व्यवस्था यह है कि नेफ्ट के माध्यम से अन्य खातों में जितनी राशि भेजी गई है उसकी जानकारी बैंक के हेड ऑफिस के कम्प्यूटर में होनी चाहिए। जिला सहकारी बैंक के रि-काउंसलेशन का जब मिलान किया गया तो साढ़े 7 करोड़ का अंतर सामने आया। ये साढ़े 7 करोड़ रुपए जिले की 10 शाखाओं में से कहां गायब हो गए यह पता नहीं चल पा रहा है। --------- अभी तो जांच चल रही है। जांच के दौरान कुछ कहना उचित नहीं होगा। जांच पूरी होने के बाद भी रि-काउंसलेशन, मैन्युअल रजिस्टर एवं अन्य दस्तावेज की कमी पकड़ में आएगी। जांच प्रतिवेदन के बाद ही आधिकारिक तौर पर राशि गुम होने की बात कही जा सकती है। -आरके पचौरी, महाप्रबंधक जिला केन्द्रीय मर्यादित बैंक, रीवा