भोपाल : राज्य शासन कुकून, रेशम धागा और वस्त्र उत्पादन की योजना के क्रियान्वयन के मामले की जाँच में दोषी पाये गये अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्व सख्त कार्यवाही करने जा रहा हैं। भ्रष्टाचार से जुडे़ इस प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए पूरे मामले को शीघ्र लोकायुक्त को सोंपा जायेगा। यह जानकारी प्रमुख सचिव ग्रामोद्योग श्री प्रवीर कृष्ण ने दी। श्री प्रवीर कृष्ण के अनुसार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने विगत सप्ताह वरिष्ठ अधिकारियों को गम्भीर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरणों में स्व-स्फूर्त होकर कार्यवाही करने के स्पष्ट निर्देश दिये थे। राज्य शासन की मंशा हैं कि समस्त विभाग प्रमुख एवं वरिष्ठ अधिकारी ऐसे प्रकरणों की स्वयं छानबीन कर आवश्यकता के अनुसार त्वरित कार्यवाही करें ताकि भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकें। इस परिप्रेक्ष्य में कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग ने रेशम संचालनालय में गंभीर भ्रष्ट्राचार से जुड़ा एक प्रकरण चिन्हित कर तत्परता से कार्यवाही की है। प्रकरण की जाँच में गंभीर वित्तीय एवं अन्य अनियमितताएँ सामने आयी हैं। श्री प्रवीर कृष्ण ने बताया कि राज्य में रेशम के क्षेत्राच्छादन एवं उत्पादन के आँकड़ों में अनुदान के रूप में रेशम कृषकों दी जाने वाली शासकीय राशि में फर्जी रूप से गबन किया गया है। रेशम उत्पादन के लिये शासन कृषकों को प्रति एकड़ के मान से अनुदान देता है। जाँच में पाया गया कि उत्पादन के आँकड़े वास्तविकता से कहीं अधिक बताये गये हैं तथा रेशम कृषकों को दी जाने वाली अनुदान राशि में गबन करने की दृष्टि से कार्यवाही की गई है। विगत वर्षों में निर्माण कार्यों में भी गंभीर त्रुटियाँ पाई गई हैं। जाँच में निर्माण एवं भंडार क्रय नियमों का भी गंभीर उल्लंघन किया गया है, जो शासकीय धनराशि का दुरुपयोग करने की श्रेणी में आता है। वस्त्र निर्माण और धागाकरण की प्रक्रिया में भी अपारदर्शी तरीके से कार्य किया गया तथा अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से शासकीय धनराशि का गबन किया गया। इसी तरह प्रशिक्षण एवं परिवहन की प्रक्रिया में भी शासन के निर्धारित निर्देशों तथा भंडार क्रय नियमों का पूरी तरह उल्लंघन किया गया है। जिसके फलस्वरूप शासकीय धनराशि का दुरुपयोग एवं प्रभक्षण संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि तत्कालीन रेशम आयुक्त एवं उप संचालक स्तर के ऐसे अधिकारी जिनसे योजना के पर्यवेक्षण और निरीक्षण की अपेक्षा थी, उन्हीं के द्वारा समस्त नियमों के विपरीत जाकर योजनाओं के क्रियान्वयन में सोची-समझी रणनीति से षड़यंत्र किया गया। उनके द्वारा उत्पादन एवं आच्छादन के फर्जी आँकड़े तैयार करने के बाद समस्त प्रक्रिया को नियमों के विपरीत संचालित किया गया। इस प्रकार राशि का दुरुपयोग कर रेशम कृषकों को हानि पहुँचाकर स्वयं लाभ अर्जित किया गया। पूरे प्रकरण की जाँच के बाद राज्य शासन ने एक उप संचालक और तीन फील्ड ऑफीसर को निलंबित कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी है। प्रमुख सचिव के अनुसार प्रकरण में चूँकि आपराधिक कृत्य भी परिलक्षित हुआ है इसलिये उसे लोकायुक्त को सौंपकर भारतीय दण्ड संहिता तथा भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत कार्यवाही के लिए अनुरोध किया जा रहा है। तत्कालीन रेशम आयुक्त के संबंध में अनुशासनात्मक एवं अन्य कार्यवाही के लिये वन विभाग को प्रकरण की जानकारी भेजी जा रही है।