भोपाल. मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं), जिसका नाम बदल कर अब प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड कर दिया गया है, में हुए घोटाले के सिलसिले में गुरुवार को बड़ी रेड डाली गई। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर जांच अपने हाथों में लेने के बाद सीबीआई ने पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई की। जांच एजेंसी की कई टीमों ने गुरुवार को एक साथ करीब 40 जगहों पर छापे मारे। भोपाल, इंदौर, लखनऊ, विदिशा, रीवा, जबलपुर, उज्जैन, इलाहाबाद सहित कई शहरों में छापामारी हुई। सीबीआई ने मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के सिंरोज स्थित घर पर भी छापा मारा। 40 अफसर हैं सीबीआई टीम में सीबीआई को व्यापमं घोटाले की जांच का जिम्मा जुलाई में सौंपा गया था। इसके लिए 40 अफसरों की टीम बनाई गई है। इस टीम को असम-मेघालय कैडर के आईपीएस अफसर और सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर आरपी अग्रवाल लीड कर रहे हैं। गुरुवार को छापामारी करने वाली टीमों में कई महिला अफसर भी शामिल थीं। क्या है व्यापमं घोटाला व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मध्य प्रदेश में उन पदों की भर्तियां करता है, जिनकी भर्तियां म.प्र. लोक सेवा आयोग नहीं करता। इसके तहत प्री मेडिकल टेस्ट, प्री इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों के एग्जाम होते हैं। घोटाला उस वक्त सामने आया जब कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स, ट्रैफिक पुलिस, सब इंस्पेक्टरों की भर्ती परीक्षा के अलावा मेडिकल एग्जाम में ऐसे लोगों को पास किया गया जिनके पास एग्जाम में शामिल होने तक की योग्यता नहीं थी। सरकारी नौकरियों में करीब हजार से ज्यादा और मेडिकल एग्जाम में 500 से ज्यादा भर्तियां शक के घेरे में हैं। कैसे सामने आया था व्यापमं घोटाला? व्यापमं की ओर से हुई प्री-मेडिकल टेस्ट में गड़बड़ी के सिलसिले में कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी थीं। लेकिन जुलाई 2013 में यह घोटाला बड़े रूप में तब सामने आया जब इंदौर क्राइम ब्रांच ने जगदीश सगर की गिरफ्तारी की। सागर के घर से कई करोड़ रुपए कैश बरामद हुआ था। सागर ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 3 साल के दौरान 100 से 150 स्टूडेंट्स को एमबीबीएस कोर्स में गलत तरीके से एडमिशन दिलाया था।