(ईन्यूज़ एमपी)-सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी होने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन सीधे जवाबदेह होंगे। यह बात ग्वालियर कलेक्टर राहुल जैन ने जिला चिकित्सालय मुरार के औचक निरीक्षण के दौरान कही। उन्होंने यहाँ के स्टोर में मधुमेह की दवा न पाए जाने पर नाराजगी जाहिर की। साथ ही निर्देश दिए कि सीएमएचओ और सिविल सर्जन नियमित रूप से औषधि भण्डार का निरीक्षण करें और जिस दवा की कमी हो, उसका तत्परता से इंतजाम करें। इसमें किसी प्रकार की ढ़िलाई बर्दाश्त नहीं होगी। शुक्रवार को कलेक्टर ने जिला चिकित्सालय स्थित ट्रामा सेंटर, ओपीडी, नि:शुल्क औषधि भण्डार, अस्पताल के वार्ड, अल्ट्रासाउण्ड व एक्स-रे सेंटर, पैथोलॉजी, मरीजों के परिजनों के लिये अस्पताल परिसर में बने आश्रय केन्द्र, एसएनसीयू, प्रसूति वार्ड व ब्लड बैंक का औचक निरीक्षण किया। साथ ही इलाज के लिये आए मरीजों व उनके परिजनों से भी चर्चा कर जिला चिकित्सालय की स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में वस्तु-स्थिति जानी। कलेक्टर श्री जैन ने नि:शुल्क औषधि वितरण केन्द्र के निरीक्षण के दौरान कहा कि सरकारी अस्पतालों द्वारा दवाओं का मांग पत्र मिलते ही तत्काल दवायें पहुँचाने की जवाबदेही सीएमएचओ व सिविल सर्जन की होती है। उन्होंने कहा दवाओं के लिये शासन स्तर से बजट की कमी नहीं है। इसलिये समन्वय स्थापित कर यह सुनिश्चित करें कि अस्पताल के स्टोर में निर्धारित सभी दवाईयाँ उपलब्ध रहें। श्री जैन ने चिकित्सकों को भी आगाह करते हुए कहा कि अस्पताल में उपलब्ध दवाईयों के अलावा अगर बाहर की दवाईयाँ लिखीं तो संबंधित चिकित्सकों की खैर नहीं होगी। जिला चिकित्सालय के रेडियोलॉजी विभाग में एक अल्ट्रासाउण्ड मशीन खराब मिलने पर भी कलेक्टर ने असंतोष जाहिर किया। उन्होंने कहा इस मशीन को तत्परता से दुरूस्त कराएँ। साथ ही निर्देश दिए कि चिकित्सक साधारण पर्ची पर एक्सरे, अल्ट्रासाउण्ड व दवाओं का प्रिस्क्रिप्शन न लिखें। इसके लिये प्रावधानों के तहत प्रिस्क्रिप्शन स्लिप प्रिंट करायें। उन्होंने कहा कि रेडियोलॉजी सेंटर में पीसी-पीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करें।