भोपालenewsmp👉केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत का मीसाबंदी मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विपक्ष ने भी सी मामले पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है| वहीं मंत्री गहलोत x99 समर्थन में प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान ने कहा है कि आपातकाल के दौरान कुल 28 लोग थे जो जेल में एक माह रहे। उनमें गहलोत भी शामिल है। इसलिए मंत्रिमंडल के अनुसार मीसाबंदियों को मिलने वाली पेंशन के हकदारों में गहलोत को विधिवत पेंशन का पात्र बनाया गया था जिसके चलते उन्हें नियमानुसार पेंशन दी जा रही है। अब इस बयान के बाद कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री शिवराज से सवाल किया है कि आखिर थावरचंद जी के विषय मे सच्चा कौन है ? थावर चंद जी स्वयं जो कह रहे है की 30 दिन जेल में रहकर आए है।(कागजों के अनुसार ) भाजपा सरकार के दो मंत्री जिनका कहना है की गहलोत जी 54 दिन जेल में रहे है।या फिर प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान जिनका कहना है की गहलोत जी को मंत्रिमंडल ने पात्र बनाया। इसलिए उन्हें पेंशन दी जा रही है। लेकिन शिकायतकर्ता का मानना है की वे सिर्फ 13 दिन जेल में रहे है। विपक्ष द्वारा गहलोत पर मीसाबंदी पेंशन पाने के लिये गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही प्रदेशाध्यक्ष ने सामाचार पत्रों में गहलोत को लेकर एक निजी अखबार में छपी खबरों का भी खंड़न किया है और नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है की 'यह समाचारों की दुनियां का स्वस्थ मापदंड नहीं है।' सामान्यत: ऐसे मामलों में राजनैतिक दलों की ओर से केवल खबर का खंडन जारी किया जाता है। यह पहली बार है। जब भाजपा ने अखबार को निशाने पर लिया है। गौरतलब है कि प्रदेश के वरिष्ठ दलित नेता थावरचंद गहलोत पर आरोप है कि वे मीसा के दौरान सिर्फ 13 दिन जेल में रहे थे लेकिन मीसाबंदी पेंशन पाने के लिये उन्होंने कागजो में हेराफेरी करके खुद की जेल में रहने की अवधि एक माह करवा ली। इसी आधार पर उन्हें मीसाबंदी पेंशन दी जा रही है। राज्य सरकार मीसाबंदियों को 25 हजार रूपये प्रतिमाह देती है