👉मुख्यमंत्री सचिवालय में ओ.एस.डी. की नियुक्ति अवैधानिक 👉मुख्यमंत्री ने केबिनेट को जनहित की बजाय स्वहित का माध्यम बनाया ✍नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह आरोप भोपाल enewsmp👉नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री सचिवालय में संघ की सिफारिश पर देना बैंक के एक अधिकारी को ओ.एस.डी. बनाने के केबिनेट द्वारा लिए गए फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि आदमी अगर संघ का है तो सरकार शीर्षासन कर सभी नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाकर फैसले लेती है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि ऐसी कौन सी दक्षता डॉ मनीष कुमार में है कि उन्हें देना बैंक से प्रतिनियुक्ति पर लिया गया। नेता प्रतिपक्ष ने पूछा कि क्या मध्यप्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में उन्हें एक भी अधिकारी नहीं मिला जो सक्षम हो। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि सुशासन का दावा करने वाले मुख्यमंत्री ने नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए वित्तमंत्री और वित्त विभाग की असहमति के बावजूद भी उनके वेतन भत्ते उनकी ही शर्त पर स्वीकार किये। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में यह पहला उदाहरण है जब प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारी को वेतन उसके मूल विभाग से ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि मनीष कुमार के लिए न केवल मुख्यमंत्री ने एक पद सृजित करवाया बल्कि बैंक में मिलने वाली एल.टी.सी., केंद्रीय भत्ते आदि की सुविधा भी देने का निर्णय केबिनेट से करवाया। श्री सिंह ने कहा कि राज्य सरकार भले ही अपने अधिकारियों/कर्मचारियों को एल.टी.सी. नहीं देती हो लेकिन मनीष कुमार के लिए उसने अपने सारे सेवा नियमों को ताक पर रख दिया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री ने केबिनेट जैसी महत्वपूर्ण संस्था को नियम और विधि विरूद्ध मनमाने फैसलों का माध्यम बना दिया। उन्होंने कहा कि केबिनेट का महत्व देखिए कि मनीष कुमार के मामले में सरकार ने अमल पहले कर लिया बाद में केबिनेट में सिर्फ अनुसमर्थन के लिए पेश किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा एक बैंक अधिकारी को मुख्यमंत्री का ओ.एस.डी. बनाना संदेहास्पद है। मुख्यमंत्री को जनता के खजाने को मुफ्त में लुटाने की छूट केबिनेट की आड़में नहीं मिल सकती।