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कमजोर और निम्न आय वर्ग को आवास की गारंटी देने वाला पहला राज्य बना..........

अधिनियम का राजपत्र में हुआ प्रकाशनаа

भोपाल :enewsmpमध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर तथा निम्न आय वर्ग को आवास की गारंटी देने के लिये कानून बनाने में देश में अव्वल रहा है। मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न वर्ग को आवास गारंटी अधिनियम 20 अप्रैल को मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित हो गया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर तथा निम्न आय वर्ग के मूल निवासियों को किफायती दर पर आवास या नि:शुल्क आवासीय भू-खण्ड देने की गारंटी देने के लिये कानून बनाने के निर्देश दिये गये थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर विगत 24 मार्च को विधान सभा में प्रस्तुत मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक को बिना किसी संशोधन के पारित किया गया था। विगत 12 अप्रैल को राज्यपाल की अनुमति प्राप्त कर उसे अधिनियम का रूप दे दिया गया है।

अधिनियम के अनुसार राज्य शासन आर्थिक रूप से कमजोर तथा निम्न आय वर्ग के रहवासियों को आवास अथवा आवासीय भूमि उपलब्ध करवाने के लिये गारंटी प्रदान करेगा। आवास का न्यूनतम क्षेत्रफल 25 वर्ग मीटर तथा आवासीय भू-खण्ड का नगर पालिक निगम के लिये न्यूनतम 45 वर्ग मीटर तथा अन्य नगरीय/ग्रामीण क्षेत्र के लिये 60 वर्ग मीटर है। किसी भी व्यक्ति के आवासीय भू-खण्ड अथवा आवास प्राप्त करने के लिये सर्वेक्षण में पात्र पाये जाने पर प्राधिकृत अधिकारी उसका पंजीयन कर सकेगा। प्राधिकृत अधिकारी डिप्टी कलेक्टर की श्रेणी से अनिम्न श्रेणी का अधिकारी होगा।

आर्थिक रूप से कमजोर तथा निम्न आय वर्ग का पात्र व्यक्ति मध्यप्रदेश का मूल निवासी होगा। उसके स्वयं अथवा परिवार के सदस्य के नाम से आवास अथवा आवासीय भू-खण्ड नहीं होगा। परिवार में पति-पत्नी, अवयस्क बच्चे सम्मिलित होंगे, लेकिन विधवा/तलाकशुदा पुत्री, बहन, पुत्र-वधु, पिता, माता, ससुर, सास, शारीरिक रूप से विकलांग भाई-बहन परिवार के भाग माने जायेंगे। क्रियान्वयन अभिकरण में ग्रामीण अथवा नगरीय स्थानीय निकाय, विकास प्राधिकरण तथा मध्यप्रदेश गृह निर्माण मण्डल रहेंगे। आवास या आवासीय भू-खण्ड के निर्माण, उसके आवंटन का कार्य, क्रियान्वयन अभिकरण द्वारा किया जायेगा।

अधिनियम में जिला-स्तरीय आवास समिति के गठन का प्रावधान भी किया गया है। समिति सम्पूर्ण कार्यवाही का परीक्षण करेगी तथा क्रियान्वयन के लिये अभिकरण को निर्देश दे सकेगी। प्राधिकृत अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध कलेक्टर को अपील किये जाने का प्रावधान भी अधिनियम में शामिल है।

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