भोपालenewsmp.comनिजी अस्पताल अब मनमाने तरीके से सिजेरियन डिलेवरी नहीं करा सकेंगे। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने अब इस पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। किसी अस्पताल में यदि 50 प्रतिशत से ज्यादा सिजेरियन प्रसव हुए तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए निगरानी भी शुरू की जा रही है। निजी और सरकारी अस्पतालों में लगातार बढ़ रहे सिजेरियन प्रसव को देखते हुए अब स्वास्थ्य संचालनालय ने इसे नियंत्रित करने की तैयारी कर ली है। संचालनालय ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और सिविल सर्जन को निर्देश जारी किए हैं। -जिन अस्पतालों में 50 प्रतिशत से अधिक सिजेरियन प्रसव हो रहे हैं उनकी लगातार निगरानी और जांच की जाए। - सभी अस्पतालों के जच्चा-बच्चा वार्डों में सफाई की व्यवस्था बेहतर करने तथा डॉक्टरों और नर्सों द्वारा मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए। - निजी अस्पतालों से नियमित रूप से उनके यहां होने वाले प्रसव और उनके प्रकार का पूरा डाटा लिया जाएगा। -अधिकारी भी अस्पतालों में औचक निरीक्षण करें। जिन अस्पतालों में 50 प्रतिशत से ज्यादा सिजेरियन प्रसव मिलें, उनसे जवाब मांगा जाए। -जवाब के बाद अस्पताल पहुंचकर जांच की जाए। सिजेरियन ऑपरेशन के संतोषजनक नहीं मिले तो उस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। राज्य महिला आयोग की मार्च माह में हुई नीतिगत बैठक में निजी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की गई थी। इसके साथ साल भर में 50 प्रतिशत से अधिक सिजेरियन प्रसव होने पर सतत निगरानी और जांच की अनुशंसा की गई थी। यह भी पढ़ें:ये हैं इंडिया के पांच सबसे चमत्कारी हनुमान मंदिर, हजारों साल से हिली नहीं मूर्तिअभी 80 फीसदी तक हो रहे सिजेरियन स्वास्थ्य संचालक डॉ केके ठस्सू के अनुसार आमतौर पर 80 फीसदी सामान्य प्रसव होने चाहिए और 15 से 20 प्रतिशत तक ही सिजेरियन प्रसव होने चाहिए पर इसका उल्टा हो रहा है। वर्तमान में महिलाएं दर्द नहीं सहना चाहतीं, इसलिए उनके परिजन सिजेरियन करने के लिए दबाव डालते हैं। इसके साथ निजी अस्पताल ज्यादा लाभ कमाने के लिए भी सिजेरियन की सलाह देते हैं। महिला आयोग की अनुशंसा और बढ़ते सिजेरियन प्रसव को देखते हुए अब विभाग ने उसे नियंत्रित करने का फैसला लिया है।