Enewsmp.com तेंदूखेड़ा। शासन के द्वारा कॉलेज में अध्यनरत छात्रों को स्मार्टफोन देने की योजना शुरू की है। जिससे छात्र आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अपने ज्ञान को बढ़ा सके। साथ ही शासन द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं की छात्रों को जानकारी मिल सके, लेकिन इस स्मार्टफोन के वितरण में छात्रों को गुमराह किया जा रहा है। जिले में कॉलेज की पढ़ाई कर रहे छात्र और छात्राओं को यह स्मार्टफोन दिए जा रहे हैं। अच्छे और कंपनी के फोन के बजाय छात्रों को चायना के मोबाइल दे दिए गए। 15 मार्च को तेंदूखेड़ा, जबेरा और बटियागढ़ केशासकीय कॉलेज में फोन वितरित किए गए थे। सभी कॉलेज के छात्रों ने खराब फोन वितरित करने की बात कही है। उनका कहना है कि बंद फोन का वे क्या करेंगे। स्मार्टफोन जब चालू हो पाएगा तभी तो वे उसका उपयोग कर सकेंगे। जब छात्रों ने कॉलेज प्रबंधन से इस संबंध में शिकायत की तो प्रबंधन के द्वारा कंपनी की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। जिससे छात्रों के साथ उनके परिजन भी खासे नाराज हैं। खाली डिब्बा लेकर घूम रहे छात्र तेंदूखेड़ा के शासकीय कॉलेज में 15 मार्च को स्मार्ट फोन वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में उन छात्रों को फोन दिए गए थे जिन्होंने कॉलेज में वर्ष 2015-16 में एडमिशन लिया था। इसमें कुल 272 छात्रों को फोन का वितरण किया जाना था। शुरूआत में तकरीबन 100 छात्रों को फोन वितरण किए गए। समारोह में फोन लेने के बाद जब छात्रों ने फोन लिए तो कुछ की बैटरी ही चार्ज नहीं हो रही थी, तो किसी का फोन चालू नहीं हो रहा था। वहीं एक छात्र को ऐसा मोबाइल फोन मिला जिसमें सॉफ्टवेयर ही नहीं था। जब छात्र इसकी शिकायत करने कॉलेज पहुंचा तो कंपनी के लोगों ने यह कहकर वहां से भगा दिया कि वे इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। यदि फोन में खराबी है तो वे इसे सर्विस सेंटर ले जाएं। छात्र सत्यम साहू के पिता रामकुमार साहू ने बताया कि एक और तो शासन के द्वारा छात्रों को फोन दिए जा रहे हैं वहीं उन्हें यह डिब्बा देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इसी तरह पवन चक्रवर्ती, सत्यम साहू, प्रिंसी नामदेव, रामनरेश गौंड़, जितेंद्र रैकवार, राजेश ठाकुर, जमना प्रसाद आदि छात्रों के फोन खराब हैं। कंपनी का बोलकर दे दिया चायना का सेट जिन स्मार्टफोन का वितरण कॉलेज में किया गया वे सभी चायना की कंपनी के हैं। जिसका छात्रों के द्वारा विरोध किया गया। उन्होंने बताया कि पिछले साल में छात्रों को जो फोन दिए गए थे वे कंपनी के थे, लेकिन इस वर्ष चायना के फोन देकर उनके साथ मजाक किया गया है। क्योंकि सभी फोन घटिया किस्म के हैं और खराब हैं। पहले कहा था दिया जाएगा दस हजार का फोन इसी तरह कुछ छात्रों ने बताया कि योजना शुरू होने के समय उन्हें जानकारी मिली थी कि कॉलेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों को दस हजार रुपए का फोन मिलेगा, लेकिन इस वर्ष जो फोन मिला है उसकी डिब्बे पर कीमत 2999 लिखी है और असल कीमत हजार रुपए के आसपास होगी। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन द्वारा चलाई जा रही योजना में बड़े स्तर पर घोटाला किया गया है। जबेरा में भी खराब निकले फोन इसी तरह 15 मार्च को ही जबेरा के शासकीय कॉलेज में स्मार्टफोन का वितरण किया था। तकरीबन 300 छात्रों को यह फोन दिए जाने थे, लेकिन 150 छात्रों को उस दिन स्मार्टफोन दिए गए। इन छात्रों में से अधिकांशतः ग्रामीण क्षेत्रों के थे। जबेरा के कुछ छात्रों ने जब फोन चालू करना चाहा तो वह चालू ही नहीं हुआ। अधिकांश छात्रों ने यहां भी फोन खराबी की बात कही। मजाक साबित हो रही योजना बटियागढ़ शासकीय कॉलेज के तकरीबन 163 छात्रों को स्मार्टफोन दिए गए हैं। यहां भी फोन खराब होने की बात सामने आई है। छात्र राहुल व्यास, सोनू प्रजापति, अक्षय जैन, दीपेश सिंह, मनीषा रैकवार, पूजा ठाकुर आदि छात्रों ने बताया कि सभी 163 छात्रों को दिए गए फोन खराब हैं। किसी छात्र को मोबाइल चार्ज नहीं होता तो किसी छात्र का मोबाइल चालू ही नहीं होता। राहुल व्यास का कहना है कि इससे अच्छा तो शासन हमें फोन ही नहीं देता। क्योंकि इस तरह से खराब फोन देकर हमारा मजाक उड़ाया गया है। पथरिया और बटियागढ़ के कॉलेज में एक साथ स्मार्ट फोन वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस संबंध में तेंदूखेड़ा कॉलेज के प्राचार्य एसके अग्रवाल का कहना है कि यदि छात्रों के द्वार फोन खराब निकलने की लिखित शिकायत की जाती है तो वे कंपनी के लोगों से बोलेंगे।