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दुनिया का पहला सफेद बाघ मोहन

दुनियां को व्हाइट टाइगर की पहचान देने वाले रीवा में नही बचे एक भी सफेद बांघ जबकि यहां जन्मे बांघ मोहन के वंशज पूरी दुनिया में पाये जाते है। शिकार के शौकीन महाराज मार्तण्ड सिंह नें 1952 में सफेद बाघ मोहन को पकडा कर दुनिया को व्हाइट टाइगर की पहचान कराई थी। महज 6 माह के नन्हे शावक की आंखो में आंसू देखकर महाराज का ह्दय परिवर्तन हुआ और मोहन को पालने का फैसला किया। मोहन को गोविन्द्रगढ के बांघ महल मे रखने के पुख्ता इंतजाम किये गये। बावजूद मोहन उदास रहता इस उदासी को दूर करने के लिए मोहन के साथ बेगम नाम की एक बघिन को रखा गया। यहीं से बाघो के प्रजनन की शुरूआत हुई। सफेद बांघ के संपर्क मे आने से बेगमी, राधा, सुकेशी से कुल सफेद बांघ की 34 संताने जन्मी जिन्हे इंग्लैण्ड अमेरिका तक भेजा गया। 16 अक्टूबर 1955 कोलकता के पी.के दास ने दो बाघ और एक बाघिन क्रय कर खरीदी बिक्री की शुरूआत रीवा से कर दी। इसे पहले बाघांे की खरीदी ब्रिकी नही हुआ करती थी। इस बिक्री से देशभर में रीवा सुर्खियो में आ गया और 1956 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू सफेद बाघ देखने रीवा आ गये। बाघो को देश-विदेश भेजने का सिलसिला बढता ही गया। रेडियो कारर्पोरेशन आॅफ अमेरिका ने 46000 एक बाघिन को क्रय किया इसके बाद भारत सरकार ने सफेद बाघों को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित कर दिया और बाघो की बिक्री पर रोक लगा दी। इतना ही नही मोहन के परिवार के पालन-पोषण पर होने वाले खर्च का भार भी उठाना स्वीकार कर लिया। सफेद बाघ मोहन की 19 वर्ष की आयु में 19 सितम्बर 1968 को मौत हो गयी। इस मौत के बाद महाराज मार्तण्ड सिंह का बाघों से मोह भंग हो गया और 1972 में आखिरी सफेद बाघ विराट व बाघिन चमेली को दिल्ली भेजकर कर बाघ महल को सूना कर दिया गया।
सफेद बाघों के संबंध में अनेक प्रकार की कहानियां कही और सुनी जाती है महाराजा वेंकटरमण सिंह के शासनकाल में 1935 ई. में सेहागपुर के जंगल में बाघ के दो सफेद बच्चे शिकारियों द्वारा पकडे गये थे लेकिन ये अधिक दिन जीवित नही पाये। इन सफेद बाघो की मृत्यु के ट्राफी सजाकर एक ब्रिटेन की सम्राज्ञी महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया था जो वर्तमान में किंग्सटन प्राकृतिक संग्रहालय में रखा गया है वहीं दूसरी ट्राफी जोधपुर के महाराजा को भेट की गई थी। सफेद बाघ मोहन पर भारत सरकार ने 1975 में डाक टिकट और अमेरिका ने एक कलेण्डर जारी किया था। कसीनों के लिये मसहूर अमेरिका का लासवेगास शहर बॉघां के लिए मसहूर है यहां पर भारत मे मौजूद सफेद बाघों की कुल संख्या से अधिक सफेद बाघ मौजूद है। व्हाइट टाइगर बेव दुनिया का बादशाह है सफेद बॉघो पर कई लाख बेवसाइड बनी है। बावजूद इसके रीवा में सफेद बांघ वापसी की बांट जोह रहा है।

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