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सातवें बेतनमान से नाराज मध्य प्रदेश के अध्यापक

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भोपाल।аमप्र सरकार द्वारा बजट में कर्मचारियों के लिए सातवें वेतनमान देने की घोषणा की गई हैं। मगर घोषणा में अध्यापको के लिए कोई प्रावधान नहीं होने से स्थानीय निकायो संबंद्ध अध्यापक खासे आक्रोशित हैं। अध्यापको ने परिक्षाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करने का ऐलान किया हैं, साथ ही आगामी समय में अपने हक के लिए आंदोलन करने की बात कह रहे हैं। अध्यापकों का कहना हैं कि उन्हे अधिकारियों की तानाशाही के कारण सरकार द्वारा छठवां वेतनमान देने की घोषणा के बाद भी आज तक छठवां वेतनमान नहीं मिल पा रहा है। छठवें वेतनमान में गणनापत्रक अधिकारियों द्वारा जानबूझकर विसंगतिपूर्ण बनाया जा रहा है। ऐसे में नाराज अध्यापकों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मौर्चा खोल दिया है। आगामी समय में अध्यापक जल्दी ही एक बैठक करने जा रहे हैं जिसमें आगे के आंदोलन की रुपरेखा तय की जाएंगी।

गौरतलब है कि छठवें वेतनमान के बाद सहायक अध्यापकों का वेतन बढ़ने के बजाय घट गया। 1998-99 में पदस्थ हुए सहायक अध्यापकों का वर्तमान वेतन 22 हजार 491 है। अध्यापकों को अभी बढ़ा हुआ वेतन तो नहीं मिला, लेकिन गणना पत्रक से गणना की तो वेतन घटकर 21 हजार 878 बन रहा है। वहीं अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापकों को भी जो वेतन मिलना चाहिए वह भी कम है। अब इस मामले को लेकर अध्यापक संयुक्त मोर्चा नाराज है। उनका कहना है कि गणना पत्रक विसंगतिपूर्ण है, इसमें सुधार होना चाहिए।а

छठवें वेतनमान में अध्यापक संवर्ग को 8-10 हजार रुपए वेतन के इजाफे की बात की जा रही थी, लेकिन गणना-पत्रक के हिसाब से फायदा नहीं हो रहा है। सहायक अध्यापकों का वेतन घटने से तो रिकवरी की स्थिति बन जाएगी। गणना-पत्रक में त्रुटि है, इसे सुधारा जाना चाहिए।

1998-99 में पदस्थ हुए सहायक अध्यापकों के वेतन में कमी की एक वजह उनका इंक्रीमेंट नहीं होना भी है। शासन 2007 के आधार पर गणना कर रहा है। इस वजह से वेतन में कमी है। हालांकि 2007 के बाद लगे अध्यापकों के वेतन में कमी नहीं है।а

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