भोपाल. अनिल अंबानी की रिलायंस पावर ने प्रदेश में सासन अल्ट्रा मेगा पॉवर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) से हाथ खींचने की तैयारी कर ली है। इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण एक कोल ब्लॉक से माइनिंग पर रोक लगाना माना जा रहा है। कंपनी ने कोल मिनिस्ट्री और पावर फाइनेंस कारपोरेशन को नोटिस देते हुए केंद्र सरकार से इस प्रोजेक्ट में लगी 26,000 करोड़ की लागत लौटने का आग्रह किया है। कंपनी ने उसको हुए नुकसान को भी 16 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस मांगा है। रिलायंस पावर ने यह कदम कोयला मंत्रालय द्वारा अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं करने पर लिया है। कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट की शरण भी ले ली है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार ने रिलायंस पावर को मध्यप्रदेश के तीन कोल ब्लॉक्स- मोहेर, मोहेर अमलोरी और छत्रसाल आवंटित किए थे। इनमें 760 मिलियन टन कोयला मिलने की उम्मीद थी। केंद्र सरकार ने इसमें से एक छत्रसाल कोल ब्लॉक का आवंटन निरस्त कर दिया। इसी के चलते कंपनी ने सासन प्रोजेक्ट से बेरुखी दिखाई। बहरहाल, इस फैसले से मध्यप्रदेश को बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि सासन प्रोजेक्ट द्वारा निर्मित 3960 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट से प्रदेश को आगामी 25 वर्षों तक 1500 सौ मेगावाट बिजली 1.19 रुपए प्रति यूनिट की दर पर मिलनी थी। हालांकि अफसरों का मानना है कि सासन के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है, मगर रिलायंस के चितरंगी प्रोजेक्ट पर इसका कुछ असर अवश्य पड़ सकता है। रिलायंस पावर के ग्रुप प्रेसिडेंट एएन सेतुरमन ने नोटिस में कहा है कि सासन प्रोजेक्ट की पूरी कैपेसिटी के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट साइन किए हैं और तीनों ब्लॉक्स से कोल की सप्लाई पर ही यह प्रोजेक्ट भी निर्भर करता है। चूंकि भारत सरकार ने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन किया है, लिहाजा अब कंपनी के लिए यह प्रोजेक्ट फायदे का सौदा नहीं रहा। नोटिस में यह साफ लिखा है कि भारत सरकार द्वारा शर्तों के बदले जाने के कारण अनुबंध वैधता समाप्त हो गई है। इसलिए भारत सरकार और पावर फाइनेंस कार्पोरेशन (पीएफसी) की यह जिम्मेदारी है कि वे सासन प्रोजेक्ट की संपूर्ण देनदारियों को ले। नोटिस में सरकार के नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के जिस निर्णय के चलते छत्रसाल कोल ब्लॉक का आवंटन निरस्त किया गया है, उस निर्णय में सभी अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट को आवंटित ब्लॉक को निरस्त करने की बात नहीं की गई है। पीएफसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने रिलायंस पावर की ओर से नोटिस मिलने की पुष्टि की, लेकिन मामला अदालत में विचाराधीन होने के कारण टिप्पणी से इनकार कर दिया। समय से पहले शुरू सासन प्रोजेक्ट निर्धारित समय से 12 महीने पहले तैयार हो गई थी। मार्च 2015 में पूरी क्षमता से परिचालन शुरू कर दिया था। रिलायंस पावर ने बिजली की कीमत सबसे कम 1.19 रुपए प्रति यूनिट रखकर यह बोली जीती थी। सासन प्रोजेक्ट एक ही जगह पर मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली संयंत्र सह कोयला खदान परियोजना है। प्रोजेक्ट पर ग्रहण रिलायंस पावर के इस रुख के बाद वर्ष 2022 में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का वादा कर चुकी केंद्र सरकार की नींद उड़ गई है। दरअसल, प्राइवेट सेक्टर को सौंपे गए चारों यूएमपीपी पर कोई न कोई विवाद चल रहा है। लिहाजा अब यूएमपीपी नीति पर ही सवाल उठने लगे हैं। यूपीए सरकार ने चारों यूएमपीपी के लिए बोलियां आमंत्रित की थी, जिसमें से सिर्फ दो सासन और मुंद्रा ही काम कर रही हैं। मुंद्रा परियोजना टाटा पॉवर के हाथ में है, जो क्षतिपूरक शुल्क पर कानूनी विवाद में फंसी है। रिलायंस पॉवर को मिली कृष्णापट्नम यूएमपीपी जमीन आवंटन नहीं होने के कारण अभी तक शुरू नहीं हुई है। इसी अप्रैल में रिलायंस पावर 4000 मेगावाट क्षमता के तिलैया यूएमपीपी से बाहर निकल गई। यह है मामला रिलायंस पावर ने 2007 में सरकार को बताया था कि वह नई माइनिंग टेक्नोलॉजी के जरिए अमलोरी ब्लॉक्स से सालाना दो करोड़ टन और छत्रसाल ब्लॉक से 50 लाख टन कोल की माइनिंग कर सकेगी। कंपनी ने अधिक कोल का इस्तेमाल चितरंगी में एक अन्य पावर प्लांट के लिए करने की अनुमति मांगी थी। यूपीए सरकार ने 2010 में विशेष छूट देते हुए कोल के अन्य प्लांट में डायवर्जन की मंजूरी दी थी। लेकिन मौजूदा एनडीए सरकार ने मई में छत्रसाल कोल ब्लॉक का एलोकेशन रद्द कर दिया। अतिरिक्त कोल का इस्तेमाल करने की छूट वापस ले ली। सासन प्रोजेक्ट से मध्यप्रदेश को काफी कम कीमत पर बिजली मिल रही है। यदि इस प्रोजेक्ट पर कोई संकट आता है तो उसका असर निश्चित ही यहां होगा।- अंटोनी जेसी डिसा, मुख्यसचिव, मध्यप्रदेश सासन प्रोजेक्ट को चलाने के लिए जितने कोयले की जरूरत है, उतना रिलायंस के पास उपलब्ध है। कंपनी को आवंटित दो कोल ब्लॉक्स से सासन का काम आसानी से चलेगा। हालांकि चितरंगी परियोजना पर इसका असर पड़ सकता है। अभी हमारी जिम्मेदारी है कि सासन चलता रहे और वह चल रहा है। - आईसीपी केसरी, प्रमुख सचिव, ऊर्जा