शराब दुकानों का समय कम किये जाने के मामले में हाई कोर्ट का हस्तक्षेप से इंकार गौरतलब हे की शराब दुकानों का समय कम किये जाने को लेकर याचिकाकर्ता प्रमोद कुमार द्विवेदी और अंकुर जायसवाल द्वारा अधिवक्ता मनीष यादव के।माध्यम से जनहित याचिका दायर का नई आबकारी निति 2015_16 में बिक्री के बड़े हुए समय को चुनोती देते हुए जनहित याचिका दायर कर इसे गलत और जनहित के खिलाफ बताया था जिस पर कोर्ट ने 24 अगस्त को अंतिम बहस सुन कर फैसला सुरक्षित रखा था जिस पर आज फैसला देते हुए न्यायलय ने लिखा के आबकारी एक्ट की धारा 62 के अनुसार जनवरी 2015 को प्रस्ताव केबिनेट में भेजा गया था जिसमे केबिनेट द्वारा कोई आपत्ति नहीं होने से उस पर मोहर लगी थी जिसके पश्च्यात सम्यवृद्धि समेत अन्य प्रस्ताव पारित किये और टेंडर निविदा जारी की थी शासन को आबकारी की धारा18 के अनुसार लाइसेंस शर्तानुसार प्रदान करने की शक्तिया हे याचिकाकर्ता की और से तर्क था इससे अपराध में वृद्धि और अवैध शराब की बिक्री बड़ी हे जिस पर कोर्ट ने सरकार की और से अतिरिक्त महाअधिवक्ता सुनील जैन के तर्क को मददे नजर रखा जिसमे उन्होंने कहा की अपराधो में लगातार नियत्रण किया जा रहा हे