भोपाल (ईन्यूज़ एमपी): प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर बदलने के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। अब गांवों और दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि सरकार टेलीमेडिसिन सेवाओं को सामुदायिक और उप स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने जा रही है। इलाज अब मोबाइल स्क्रीन पर होगा! मंत्रालय में स्वास्थ्य विभाग की गहन समीक्षा करते हुए डिप्टी सीएम ने स्पष्ट किया कि अब कोई बहाना नहीं चलेगा – चाहे बात गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच की हो या हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान की, हर स्तर पर सटीक और समय पर सेवा देना अब अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है। रेडियोलॉजी सेवाएं भी अब मिलेंगी "यू कोट, वी पे" मॉडल पर, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक्स-रे और स्कैन जैसी सुविधाएं सहज होंगी। साथ ही, शव वाहन संचालन में कोई ढिलाई न हो, इसके लिए भी उन्होंने तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। नर्सिंग ऑफिसर की भर्ती को लेकर भी बड़ा कदम उठाया जा रहा है – नियमों में संशोधन कर प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जाएगा। वहीं, आयुष्मान भारत योजना की समीक्षा में उप मुख्यमंत्री ने ज़ोर दिया कि हर जरूरतमंद को बेहतर इलाज मिले, बिना किसी रुकावट। राज्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने एक और अहम सुझाव दिया – सभी आयुष्मान-एम्पेनल्ड अस्पतालों को खुलकर बताना होगा कि वे कौन-कौन सी सेवाएं देते हैं, ताकि मरीजों को भटकना न पड़े। बैठक में प्रमुख सचिव संदीप यादव, आयुक्त तरुण राठी, एनएचएम की एमडी डॉ. सलोनी सिडाना, और आयुष्मान योजना के सीईओ डॉ. योगेश भरसट सहित तमाम अधिकारी मौजूद रहे।