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रीवा महाराजा के दस्तखत का खेल: धोखे से बनाई पावर ऑफ अटॉर्नी, पुलिस की खामोशी पर उठे सवाल...

सिंगरौली (ईन्यूज़ एमपी): रीवा महाराजा और पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह की बेशकीमती संपत्ति पर सेंध लगाने की कोशिश ने सिंगरौली में सनसनी फैला दी है। आरोप है कि उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार ने चुपके से महाराजा के नाम की पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार करवाई, लेकिन पुलिस प्रशासन मामले में चुप्पी साधे बैठा है।

सूत्रों के मुताबिक, महाराजा ने 29 अप्रैल 2024 को सिंगरौली में एक जमीन की रजिस्ट्री के लिए दस्तखत किए थे। लेकिन बाद में पता चला कि उन्हीं दस्तखतों का इस्तेमाल उनकी मुंबई स्थित करोड़ों की कोठी बेचने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार करने में किया गया। जब इस साजिश का पता चला, तो महाराजा तुरंत सिंगरौली पहुंचे और पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत दी।

लेकिन हैरानी की बात ये है कि बैढ़न कोतवाली पुलिस आरोपी उप पंजीयक परिहार के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से बच रही है। आरोप है कि पुलिस न केवल मामले को दबाने की कोशिश कर रही है, बल्कि आरोपी को बचाने के प्रयास भी कर रही है।

"उप पंजीयक की करतूतों का चिट्ठा लंबा"
बताया जा रहा है कि अशोक सिंह परिहार का विवादों से पुराना नाता है। सिंगरौली में पदस्थ होने के बाद से उन पर धोखाधड़ी, अवैध रजिस्ट्रेशन, और राजस्व चोरी के कई आरोप लग चुके हैं। एक मामले में तो उन्हें निलंबित भी किया गया था। बावजूद इसके, उनकी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रहीं।

"पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल"
जनता के बीच अब ये चर्चा गर्म है कि जब पूर्व मंत्री की शिकायत पर भी पुलिस सुस्ती दिखा रही है, तो आम आदमी की शिकायतों का क्या हाल होगा। महाराजा की मुंबई स्थित आलीशान कोठी की सुरक्षा और इस साजिश का पर्दाफाश अब पुलिस की साख का सवाल बन चुका है।

क्या प्रशासन की नींद खुलेगी, या फिर ये मामला भी फाइलों के ढेर में दब जाएगा? जवाब का इंतजार है, लेकिन सवाल खड़े हो चुके हैं।

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