इंदौर (ईन्यूज़ एमपी): अधिक रिफंड दिलाने का प्रलोभन अब करदाताओं को महंगा पड़ सकता है। इस वर्ष का आयकर रिफंड रुकने की संभावना के साथ-साथ पिछले वर्षों के फर्जी रिफंड की भी वसूली की तैयारी की जा रही है। आयकर विभाग ने बड़े रिफंड क्लेम करने वाले करदाताओं और सामूहिक रूप से रिटर्न दाखिल करने वालों पर विशेष निगरानी शुरू की है। पिछले वर्षों में जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में कई सरकारी कर्मचारियों ने फर्जी दान की रसीदें और खर्च दिखाकर रिफंड हासिल किए थे। इन मामलों के प्रकाश में आने के बाद रिफंड प्रक्रियाओं में सख्ती बरती जा रही है। उज्जैन जैसे क्षेत्रों में भी गलत रिफंड के मामले पकड़े गए हैं। अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से संदिग्ध रिटर्न और रिफंड की जांच तेज करें। ऑनलाइन सिस्टम लागू होने से विभाग जल्दी रिफंड जारी कर रहा था, परन्तु अब बड़े रिफंड केसों में जांच की वजह से इन्हें अटकाया जा सकता है। सीए कीर्ति जोशी के अनुसार, सीबीडीटी ने अधिकारियों को उन करदाताओं पर विशेष ध्यान देने को कहा है जिनके रिटर्न पिछले आठ वर्षों में कभी भी स्क्रूटनी में आए हैं या जिन पर टैक्स की मांग निकली है।