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सरकारी स्वास्थ्य सेवा की बिगड़ी चाल मरीजों का इलाज और जांच इधर-उधर

ग्वालियर (ईन्यूज़ एमपी)---- जनता के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से गांव-देहात से लेकर शहरों में भी सरकारी अस्पताल खोले गए हैं। देहात की बात छोड़िये, ग्वालियर महानगर में ही सरकारी स्वास्थ्य सेवा लंगड़ाकर चल पा रही है। मुरार में स्वास्थ्य विभाग का जिला अस्पताल और उपनगर ग्वालियर में सिविल अस्पताल है, भवन भी नए चमचमाते बने हैं।
मरीज इलाज के लिए यहां उम्मीदें लेकर पहुंचते हैं तो कहीं इलाज तो कहीं जांच के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इधर-उधर भटकाया जाता है, वजह यह है कि कहीं डाक्टर नहीं है तो कहीं इकलौते रेडियोलाजिस्ट अवकाश पर है। सिविल अस्पताल हजीरा में नेत्र विभाग को जुगाड़ से चलाने की कोशिश की जा रही है। यहां डा. एच एस कुशवाह के सेवानिवृत्त होने के बाद से न केवल आंखों के आपरेशन प्रभावित हुए हैं बल्कि ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। अस्थायी तौर पर महिला नेत्र रोग विशेषज्ञ को सप्ताह में दो दिन के लिए अटैच किया है, लेकिन मरीजों को राहत नहीं मिल पा रही है।
सिविल अस्पताल हजीरा में रोजाना चालीस से पचास मरीज उपचार के लिए नेत्र रोग विभाग पहुंचते हैं। इनमें से चार से पांच मरीजों को आपरेशन की सलाह चिकित्सक देते हैं, लेकिन आपरेशन के लिए मरीजों को जिला अस्पताल या जेएएच जाने के लिए कहा जा रहा है। जिला अस्पताल में 40 से 50 मरीज हो रहे प्रभावित जिला अस्पताल में 45-50 मरीजों को चिकित्सक अल्ट्रासाउंड जांच की सलाह देते हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड जांच बंद होने के कारण मरीजों को बिना जांच कराए ही लौटना पड़ रहा है। यहां संविदा पर पदस्थ डा. महेंद्र पांडे छह सितंबर से 12 सितंबर तक अवकाश पर हैं। अवकाश की पर्ची दरवाजे पर चस्पा है।

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