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Home मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी ने पलट दिया निर्णय, अब ऐसे होगी नर्सिंग परीक्षा...

मेडिकल यूनिवर्सिटी ने पलट दिया निर्णय, अब ऐसे होगी नर्सिंग परीक्षा...

जबलपुर (ईन्यूज एमपी)- एमपी में जबलपुर के मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने नर्सिंग की परीक्षा सेमेस्टर पद्धति से कराने का निर्णय पलट दिया है। बीएससी नर्सिंग के सत्र 2022-23 के छात्र-छात्राओं की परीक्षा अब वार्षिक प्रणाली से ही होगी।

वहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए विश्वविद्यालय के अध्ययन मंडल की स्वीकृति भी प्राप्त हो गई है। विश्वविद्यालय ने नर्सिंग परीक्षा का संशोधित प्रस्तावित एग्जाम कलेंडर भी जारी कर दिया है। गत माह जारी किए गए कलेंडर में सत्र 2022-23 की परीक्षा सेमेस्टर प्रणाली से कराने की घोषणा की गई थी। संशोधन में वार्षिक प्रणाली से परीक्षा का उल्लेख किया है।

इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने बीएससी नर्सिंग की अध्यापन व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए वार्षिक परीक्षा पद्धति को समाप्त कर दिया। उसकी जगह पर सेमेस्टर प्रणाली लागू की गई। इससे चार वर्षीय बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम में आठ सेमेस्टर हो गए।

सत्र 2022-23 की बीएससी नर्सिंग की परीक्षा वार्षिक होगी। कालेजों ने पूर्व प्रचलित वार्षिक प्रणाली से अध्यापन कराए जाने की बात कहते हुए सेमेस्टर प्रणाली को क्रियान्वित ना किए जाने का अनुरोध किया था। इसे विश्वविद्यालय अध्ययन मंडल ने स्वीकार कर लिया है।
- डा. सचिन कुचिया, परीक्षा नियंत्रक, मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय

सेमेस्टर प्रणाली के अनुसार विश्वविद्यालय ने सत्र 2022-23 की परीक्षा कराने की तैयारी की थी। लेकिन कालेजों में छात्र-छात्राओं को वार्षिक प्रणाली से ही पढ़ाया जा रहा था। वार्षिक प्रणाली से अध्यापन और सेमेस्टर प्रणाली से परीक्षा से छात्र-छात्राएं परेशान थे। छात्रों की शिकायत विश्वविद्यालय तक पहुंची तो जिस प्रणाली से पढ़ाई कराई गई है, उसी के अनुरूप परीक्षा कराने का निर्णय किया गया।

प्रदेश में सेमेस्टर प्रणाली से बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई अब नए सत्र से लागू होगी। सत्र 2024-25 में प्रवेशित छात्र-छात्राओं पर सेमेस्टर का नियम मान्य होगा। नए सत्र के छात्र-छात्राएं राज्य सरकार के नवीन निर्णयानुसार क्षेत्रीय परंपरागत विश्वविद्यालय के अधीन होंगे।

अलग-अलग व्यवस्था से जूझना नहीं पड़ेगा
मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में नर्सिंग छात्र-छात्राओं का यह अंतिम बैच है। पूर्व प्रचलित वार्षिक प्रणाली से परीक्षा आयोजित किए जाने से विश्वविद्यालय को परीक्षा की दो अलग-अलग व्यवस्था की समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा। छात्र-छात्राओं को भी राहत रहेगी। नई व्यवस्था नर्सिंग कालेजों को संबद्धता देने वाले नए विश्वविद्यालयों के साथ आरंभ होगी।

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