मैहर( ईन्यूज एमपी) -आज से नवरात्र शुरू हो गया। सनातन धर्म में नवरात्र सबसे बड़ा और पावन पर्व माना जाता है। मंदिरों की साफ- सफाई कर माता रानी के पूजन के लिए विशेष व्यवस्था करते है। नवरात्र में माता के नौ दिन तक नौ रूपों की आराधना की जाती है। पहले दिन माता शैलपुत्री, फिर दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंद माता, छंटवे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठंवे दिन महागौरी, नवमं दिन सिद्धिदात्री और फिर दुर्गा प्रतिमा विसर्जन कर दिया जाएगा है। चैत्र राम नवमी और नवरात्र के नव दिन का मेला मैहर मां शारदा की नगरी मैहर में विगत कई सालों से साल में दो मेले चैत्र राम नवमी और नवरात्र के नव दिन का मेला लगता है। मैहर के इस मंदिर का इतिहास कितना पुराना है इस बारे में अभी तक कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है मगर बताया जाता है कि त्रिकूट पर्वत पर बने इस मंदिर से जुड़े कई तथ्य हैं जिसमें से कुछ मुख्य प्रमाण बताते है कि माता सती के अंग जहां जहां गिरे वह सब शक्ति पीठ बनाए गए। ऐसे ही मैहर के त्रिकूट पर्वत पर माता सती का हार गिरा था इसलिए इस जगह का नाम माई हार अर्थात मैहर नाम पड़ा। मैहर मेले की कमान दो कलेक्टर और दो एसपी के हाथों में मैहर के इतिहास में पहली बार होगा की मेले की प्रबंध की कमान दो कलेक्टर और दो एसपी संभालेंगे। हाल ही में मैहर जिला की घोषणा होने के बाद प्रदेश में 56 वां जिला मैहर अस्तित्व में आया है। जिसके नवागत कलेक्टर रानी बाटड और एसपी सुधीर अग्रवाल है। जब कि वर्तमान मेले की कमान सतना जिले के कलेक्टर अनुराग वर्मा और एसपी आशुतोष गुप्ता संभालेंगे। यहां सजेगा दरबार शहर में जगह -जगह पंडाल लगाए गए हैं जिसमें माता रानी विराजमान होंगी। माता के भक्तों के द्वारा बड़े और सुंदर मनमोहक पंडाल बनाए गए हैं। जो समाज को सकारात्मक विचारधारा का संचार करते है। मैहर गल्ला मंडी में न्यू जय हिद भारतीय दुर्गा उत्सव समिति के द्बारा हर साल दुर्लभ झांकी की स्थापना की जाती रही है। जो की स्थानीय लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है। प्रशासन की तीसरी आंख से होगी निगरानी प्रथम भक्त आल्हा आज भी माता की सबसे पहले पूजन करते है। ऐसा माना जा है कि माता शारदा के प्रथम भक्त आल्हा हैं जिन्हें माता शारदा ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर अमरता का वरदान दिया है। आज भी माता शारदा के दर्शन के पश्चात आल्हा के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है नही तो दर्शन पूर्ण नहीं होता है। आल्हा महोबा के राजा थे जो की माता शारदा के सबसे बड़े भक्त माने जाते थे। बताया जाता है की आज भी जब सुबह मंदिर के पट खोले जाते है तो कोई अदृश्य शक्ति पहले से ही माता की पूजा कर जा चुकी होती है। लाखों की संख्या में पहुंचते है श्रद्धालु मैहर नवरात्र के मेले में माता के दर्शन के लिए श्रद्धा भाव से दर्शन करने के लिए प्रतिदिन 5 लाख से भी ज्यादा की संख्या में पहुंचते हैं। प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश से लोग मैहर दर्शन करने आते हैं जिनमें से अधिकतर लोग पैदल यात्रा दिन रात चल कर माता के जय कारे के साथ मैहर पहुंचते हैं जिनके लिए समाज सेवियों और स्थानीय लोगों के द्बारा रुकने और नहाने धोने के साथ -साथ जगह -जगह चाय पानी का इंतजाम नि:शुल्क तौर पर किए जाते हैं।