इंदौर(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शासन को आदेश दिया है कि दिव्यांगों की पेंशन 600 रुपये से बढ़ाकर 1562 रुपये करने को लेकर प्रस्तुत अभ्यावेदन पर 45 दिन में निर्णय लें। कोर्ट ने यह आदेश दिव्यांगों की पेंशन को लेकर प्रस्तुत एक जनहित याचिका को निराकृत करते हुए दिया। याचिका दिव्यांगों के लिए काम करने वाली संस्था परिवार की ओर से एडवोकेट मनीष विजयवर्गीय ने दायर की थी। इसमें कहा था कि केंद्र शासन ने वर्ष 2016 में दिव्यांग अधिकार अधिनियम बनाया है। इस अधिनियम के सेक्शन 24 में प्रविधान है कि अगर राज्य शासन सामाजिक विकास के नाम पर कोई पेंशन दे रहा है तो दिव्यांगों को इस पेंशन से 25 प्रतिशत अधिक पेंशन देनी होगी। एडवोकेट विजयवर्गीय ने बताया कि हमने याचिका में कहा था कि वर्तमान में प्रदेश में दिव्यांगों को 600 रुपये पेंशन दी जा रही है, जबकि राज्य शासन सामाजिक विकास के नाम पर लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को 1250 रुपये दे रहा है। अधिनियम के प्रविधानों के तहत ऐसी स्थिति में दिव्यांगों को 1562 रुपये मासिक पेंशन मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने यह बात भी कोर्ट के सामने रखी कि वर्तमान में छह वर्ष से कम आयु के दिव्यागों के लिए पेंशन का कोई प्रविधान नहीं है। कोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए आदेश दिया कि याचिकाकर्ता इस संबंध में शासन के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करें और शासन 45 दिन में इस अभ्यावेदन का निराकरण करते हुए निर्णय ले।