भोपाल (ईन्यूज एमपी)-भोपाल और इंदौर समेत 41 जिलों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव और जयराम रमेश के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। आरोप है कि इन नेताओं ने वायरल एक पत्र को सोशल मीडिया पर शेयर किया। जिसके आधार पर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर 50% कमीशन वाली सरकार होने का आरोप लगाया है। ज्ञानेन्द्र अवस्थी नाम के अज्ञात शख्स पर भी केस दर्ज किया गया है। दरअसल जो लेटर सोशल मीडिया में चल रहा है। वह 'लघु एवं मध्यम क्षेत्रीय संविदाकार संघ' नाम की कथित संस्था के लेटर हेड पर है। उसमें नीचे की ओर ज्ञानेन्द्र अवस्थी नाम लिखा है। ये लेटर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के मुख्य न्यायाधीश के नाम पर लिखा गया है। बीजेपी नेताओं की शिकायत पर भोपाल की क्राइम ब्रांच और इंदौर के संयोगितागंज थाने में केस दर्ज किया गया है। इंदौर में बीजेपी विधि प्रकोष्ठ के नेता निमेश पाठक ने शिकायत की थी। इसमें प्रियंका पर ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से एक पत्र के जरिए भ्रामक ट्वीट करने का आरोप लगाया गया है। ये कहा गया कि कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी की छवि धूमिल करने का काम किया है। जिसके बाद रात 9:30 बजे संयोगितागंज थाने में (धारा 420, 469) FIR दर्ज की गई है। भोपाल में भी शनिवार रात क्राइम ब्रांच में (धारा 469, 500, 501 के तहत) केस रजिस्टर्ड किया गया। डीसीपी क्राइम श्रुत्कीर्ति सोमवंशी ने इसकी पुष्टि की। इससे पहले शनिवार दोपहर में बीजेपी नेताओं ने क्राइम ब्रांच में कांग्रेस नेताओं की शिकायत की। मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, 'मप्र में चुनाव आते ही कांग्रेस रोज झूठ का सहारा ले रही है।' बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया है कि षड्यंत्रपूर्वक किसी ठेकेदार एसोसिएशन के नाम से फर्जी पत्र सोशल मीडिया पर प्रचारित कर भाजपा की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई है। आवेदन में प्रियंका गांधी, कमलनाथ, जयराम रमेश, अरुण यादव समेत अन्य कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई की मांग की गई थी। कथित 'लघु एवं मध्यम क्षेत्रीय संविदाकार संघ' संस्था के नाम से ये लेटर सोशल मीडिया पर चल रहा है। इसमें नीचे ज्ञानेन्द्र अवस्थी नाम लिखा है। ये लेटर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के मुख्य न्यायाधीश को लिखा बताया जा रहा है। पत्र में लिखा है कि 50 प्रतिशत कमीशन देने पर ही भुगतान मिलता है। पत्र में कहा गया है कि सरकार में कोई सुनने वाला नहीं है। विभाग में दलाल इस कदर सक्रिय हैं कि 50 प्रतिशत कमीशन लेकर भुगतान करा रहे हैं। मूल ठेकेदार हमें निविदा में स्वीकृत राशि का मात्र 40 प्रतिशत हिस्सा देकर कार्य कराते हैं। कुल स्वीकृत राशि में से 50 प्रतिशत राशि कमीशन के तौर पर बंट जाती है। 10 प्रतिशत मूल ठेकेदार रखते हैं। ऐसे में पेटी कॉन्ट्रैक्टर का जीवन नारकीय हो गया है।