जबलपुर(ईन्यूज एमपी)- हाई कोर्ट से एक दर्जन से अधिक झूठों को झटका लगा। जबकि एक सच्ची को राहत मिल गई। मामला पुलिस आरक्षक भर्ती से संबंधित था। रोजगार पंजीयन के सिलसिले में गलत जानकारी देने वालों की याचिकाएं निरस्त कर दी गईं। जबकि सही जानकारी देने वाली शाजापुर की रानी बाई को आरक्षक के पद पर चयनित करने विचार किए जाने के निर्देश जारी कर दिए गए। न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। दरअसल, व्यापमं ने 25 नवंबर, 2020 को अधिसूचना जारी कर पुलिस विभाग में चार हजार आरक्षकों की भर्ती निकाली थी। प्रदेश के सागर, रीवा, सीहोर, छतरपुर, टीकमगढ़, होशंगाबाद, हरदा, खंडवा, विदिशा, शाजापुर समेत कई जिलों के अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चयन प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाया था याचिकाकर्ताओं ने बताया कि जनवरी 2022 में उन्होंने लिखित परीक्षा दी और उसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा में भी वे शामिल हुए। सभी ने दोनों परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन उन्हें चयनित नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि कोरोना के कारण उनका रोजगार पंजीयन कार्ड शून्य हो गया था। उन्होंने शारीरिक परीक्षा के पहले नवीनीकरण करवा कर कार्ड जमा कर दिया था। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने अवगत कराया कि याचिकाकर्ता उम्मीदवारों ने जानते हुए भी आनलाइन आवेदन करते समय गलत जानकारी दी थी। सभी ने इस तथ्य को छिपाया कि आवेदन करते समय उनका रोजगार पंजीयन शून्य हो गया था। नियमानुसार दस्तावेजों के वेरिफिकेशन के समय यदि वे गलत या अधूरे पाए जाते हैं, तो उम्मीदवारी निरस्त की जा सकती है। हाई कोर्ट ने पूरा मामला समझने के बाद आदेश पारित कर दिया।